नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप सभी लोग सो अभी हम इंडियन कांस्टिट्यूशन का सेकंड लेक्चर शुरू करने जा रहे हैं फर्स्ट लेक्चर में थोड़ा सा मैंने आपको इंट्रोडक्शन के बारे में बताया था और सोर्सेस ऑफ कंस्टीटूशन बताया था और वह लेक्चर जरूर पढ़ लीजिएगा वहां से कि आपका
एक क्वेश्चन जो है वह जरूर निकलेगा अब बात करते हैं इसका आज का जो हमने लेक्चर पढ़ना है तो उसमें हम क्या पढ़ेंगे तो यह हमने पिछले वीडियो में कवर किया था यह सोर्सेस ऑफ कांस्टिट्यूशन तो यह सारा हमने कवर किया था और जिन्होंने चैनल को अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया
सब्सक्राइब जरूर करिएगा ताकि आपको जो न्यू वीडियो की नोटिफिकेशन जो है वह मिलती रहे और अब हमारी बैक टू बैक वीडियो जो है आपको मिलेगी स्टडी मटेरियल भी प्रिपेयर हो गया है कुछ बन रहा है तो व सारा मटेरियल जो है आपको मिल जाएगा बिल्कुल फ्री ऑफ कॉस्ट ऑन
अवर टेलीग्राम चैनल ओके गाइस सो आज आज जो हम पढ़ने जा रहे हैं वह हम पढ़ेंगे प्रीमल क्या पढ़ेंगे प्रीमल तो पहले हम जो हमारा प्रिंबल है वह हम पढ़ लेते हैं कि है क्या उसके बारे में हम इसको एक्सप्लेन करेंगे कि आपका प्रीमल क्या है और क्या क्यों जरूरी है इसके क्या
फीचर्स है वगैरह तो सबसे पहले आपने सबने एनसीआरटी जो आपकी बुक होंगी बुक्स होंगी तो उसके आप देखोगे फर्स्ट पेज पर प्रिंबल सबकी एनसीआरटी बुक्स के ऊपर लिखा होता है तो उसमें क्या लिखा होता है मे बी आपको याद भी हो वी द पीपल ऑफ इंडिया हैव सोलली रिजॉल्व टू
इंडिया इनटू ए सोनियर सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक याद रखना इसको यह हमारे पास थ एस है आपको इसी में से क्वेश्चन आएगा मैं वोह भी बताऊंगा कि कैसे क्वेश्चन आएगा थ एस है उसके बाद हमारे पास क्या है डीआर ठीक है याद रखना सव नियर सोशलिस्ट एंड सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक
एंड टू सिक्योर टू ऑल इट्स सिटीजंस आगे क्या करता है क्या होना चाहिए जस्टिस किसकिस की सोशल इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल उसके बाद लिबर्टी किस-किस का होना चाहिए ऑफ थॉट एक्सप्रेशन बिलीफ फेथ एंड वरशिप देन इक्वलिटी किस-किस की होनी चाहिए ऑफ स्टेटस एंड अपॉर्चुनिटी ये सारी टर्म हम आगे इसको एक्सप्लेन करेंगे टेंशन मत
लीजिएगा मैं सिर्फ अभी आपको जो प्रिंबल लिखा है वो मैं आपको पढ़ा रहा हूं ठीक है और उसके बाद क्या है एंड टू प्रमोट अमंग देम अमंग देम ऑल फ्रेटरनिटी एश्योरिंग द डिग्निटी ऑफ द इंडिविजुअल एंड द यूनिटी एंड इंटीग्रिटी ऑफ ए नेशन राइट एंड और
लास्ट में क्या लिखा होता है इन अवर कंस्ट कंसीट असेंबली दिस 26 डे ऑफ नवंबर 1949 डू हेयर बाय अडॉप्ट एनेक्ट एंड गिव टू आवर सेल्व दिस कांस्टिट्यूशन तो यह हमारा जो प्रीमल का जो इसमें लिखा गया है तो वह यह पूरा का पूरा प्रीमल लिखा गया अब हम इस
पूरे प्रिंबल को समझेंगे कि यह प्रिंबल है क्या यह याद रख लेना इसमें क्याक लिखा होता है सनिर सोश सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक उसके बाद हमारे पास क्या होता है जस्टिस लिबर्टी इक्वलिटी एंड फ्रेटरनिटी कभी कभार पूछा जाता है कि इनमें से कौन सा जो प्रिंबल है उसमें नहीं लिखा गया है या
क्या-क्या प्रिंबल में लिखा गया है सिंपल पूछ लेते हैं कि जस्टिस किस-किस की होनी चाहिए सोशल इकोनॉमिक पॉलिटिकल की है उसके बाद पूछते हैं कि लिबर्टी ऑफ व्हाट कौन-कौन सी होनी चाहिए आपको चार ऑप्शन दिए जाएंगे थॉट एक्सप्रेशन बिलीफ फेथ एंड वशिप देन इक्वलिटी ऑफ किसकी स्टेटस एंड
अपॉर्चुनिटी की इसके ऊपर भी आपको क्वेश्चन आ सकता है एग्जाम में अब देखो बच्चों प्रीमल होता क्या है ठीक है तो प्रीमल का मीन मीनिंग समझेंगे देखो प्रीमल क्या होता है बेसिकली इसको आप प्रिंबल को ऐसे बोल सकते हो इट इज इंट्रोडक्टरी स्टेटमेंट मतलब कि यह आपका
जो प्रिंबल है ये आप इसको प्रीफेस ऑफ द कांस्टिट्यूशन भी कह सकते हो ऑब्जेक्टिव ऑफ द कांस्टिट्यूशन भी कह सकते हो मतलब की प्रल जो है ये जो हमारा कांस्टिट्यूशन है उसका जो स्टार्टिंग में जो अ पेज है उसके साथ इसको अटैच किया गया है शुरुआत में
जैसे आपके एनसीआरटी बुक्स में सबसे पहले प्रिंबल लिखा गया है तो वैसे ही जैसे ही हमारी जो कांस्टीट्यूशन की बुक होती है उसमें सबसे पहले अ प्रिलिमनरी और इंट्रोडक्टरी स्टेटमेंट जो लिखी जाती है कि हमारा जो कांस्टिट्यूशन है उसका क्या पर्पस है बेसिकली तो वो सारा का सारा जो
पर्पस है उसका क्या ऑब्जेक्टिव है क्या उसका अंडरलाइन फिलोसोफी है क्या उसका अंडरलाइन उसका क्या एम है तो वह सारा का सारा क्या है प्रिंबल में एक बताया गया है कि यह क्या है बेसिकली प्रिंबल जो है ये एक ब्रीफ इंट्रोडक्शन है ब्रीफ इंट्रोडक्शन टू द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ
इंडिया ठीक है जिसके अंदर सब कुछ मतलब कि जितने भी हमारे गाइडिंग अ पर्पसस हैं प्रिंसिपल्स हैं जो पूरे कॉन्स्टिट्यूशन के हैं तो वह सारे के सारे इस प्रिंबल में मतलब कि एक ब्रीफ इंट्रोडक्शन दिया जाता है हमारे कांस्टिट्यूशन की हमारा कांस्टिट्यूशन इस तरह से होगा ठीक है अब
इसमें एक बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट चीज है याद रखना यह आपको एग्जाम में आ सकती है तो एक हमारा केस था जिसको हम बोलते हैं बेरू भरी केस ठीक है उसमें क्या बोला गया था इस केस के अंदर क्या बोला गया था कि जो प्रीमल है व कांस्टिट्यूशन का इंडियन
कॉन्स्टिट्यूशन का इंटीग्रल पार्ट नहीं है ठीक है क्या क्या बोला गया था कि कांस्टिट्यूशन का वो इंटीग्रल पार्ट नहीं है कि वो कांस्टीट्यूशन के साथ नहीं है और इसलिए हम प्र को सोर्स ऑफ कांस्टिट्यूशन या सोर्स ऑफ सब्सटेंटिव पावर्स और या इसको हम कोर्ट में एनफोर्स
नहीं कर सकते अगर कोर्ट में कोई भी चीज के ऊपर केस चल र हैं जो भी चल रहा है तो हम एज ए प्रिंबल को लेके उसको जस्टिफाई कोर्ट में नहीं कर सकते मतलब कि यह प्रिंबल जो है कोर्ट में भी एनफोर्सेबल नहीं है यह
याद रखना किस किस केस में कहा गया था यह बेरुबरी केस में कहा गया था ठीक है फिर उसके बाद क्या हुआ था एक और केस आया था बहुत ही इंपॉर्टेंट केस है केशवानंद भारती केस बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट है ये आगे डिटेल में हम पढ़ेंगे तो केशवानंद भारती
केस में क्या बोला गया था कि केशवानंद भारती केस ने जो रूबरी बेरुबरी केस में बोला गया था उसको उसने ओवर रूल कर दिया था और प्रीमल को केशवानंद भारती ने बोला था उस केस में जो जजमेंट आया था उसमें बोला गया था कि पीएल जो है इज द इंटीग्रल इज एन
इंटीग्रल पार्ट ऑफ इंडिया और हम प्रिंबल को लेके साथ में लेके हम कुछ भी अगर कोई भी चीज होगी अ इंटरप्रेट कर सकते हैं हम एज ए ज मतलब कि कांस्टिट्यूशन जो था अ प्रिंबल जो है वो एनफोर्सेबल होगा इन द कोर्ट क्योंकि इंटीग्रल पार्ट ऑफ अ कांस्टिट्यूशन हो
जाएगा यह इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन का तो हम एज ए इसको मतलब कि कोर्ट में भी हम इसको यूज़ कर सकते हैं इंटरप्रेट करने के लिए जो भी लॉ होंगे अ जो बनते हैं उसके लिए हम इसको यूज कर सकते हैं तो प्रेजेंट स्टेटस क्या है इसका तो प्रेजेंट स्टेटस आप बोल
सकते हो आपको क्वेश्चन आ सकता है कि क्या क्वेश्चन आ सकता है कि जो आपका प्रिंबल है क्या है जो आपका प्रिंबल है इज इट पार्ट ऑफ कॉन्स्टिट्यूशन आपके ये क्वेश्चन आ सकता है तो अभी यह प्रिंबल जो है इस टाइम पे पार्ट ऑफ कांस्टिट्यूशन है और बोला जा
सकता है कि वह कौन से केस की जजमेंट थी जिसमें बोला गया था कि प्रिंबल जो है इज ए पार्ट ऑफ कांस्टिट्यूशन इंटीग्रल पार्ट ऑफ कांस्टिट्यूशन तो उसमें आपको यही मिलेंगे बेरबेरी हो गया उसके बाद केशवानंद बाती केस हो गया और एकल है गोकुलनाथ गोकुलनाथ जो है करके केस है तो
इस तरह से ऑप्शन होंगे तो याद रखना तो केशवानंद भारती के केस में प्रिंबल को इंटीग्रल पार्ट ऑफ कांस्टिट्यूशन बोला गया है ठीक है अब उसके बाद बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट जो एक अमेंडमेंट है दैट इज 42 अमेंडमेंट 1976 42 अमेंडमेंट 1976 और याद रखना आपको
अमेंडमेंट्स तो नहीं आ रही तो इसको मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी बोला गया है ठीक है इस अमेंडमेंट को हम क्या बोलते हैं मिनी कॉन्स्टिट्यूशन बोलते हैं याद रखना मिनी कॉन्स्टिट्यूशन भी बोलते हैं इसको ठीक तो बहुत ही ज्यादा इंपॉर्टेंट क्या है अभी हमने ऊपर प्रिंबल में पढ़ा
वहां पर क्या था सवे नियर सोशलिस्ट सेकुलर ठीक है तो हमारा जो ओरिजिनल प्रिंबल था उसमें याद रखना उसमें याद रखना उसमें हमारे पास सनिर सिर्फ वहां पर क्या था सव नियर यह यहां पर लिखा गया जो ओरिजिनल हमारा प्रिंबल था याद रखना उसमें सिर्फ सव नियर सोनियर उसके बाद
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक था उसमें कहीं पर भी सोशलिस्ट और सेकुलर जो था वहां पर कहीं पे भी मेंशन नहीं था कहीं पर भी यह दोनों वर्ड नहीं थे ठीक है तो याद रखना 42 अमेंडमेंट 1976 में 96 में जो हमारा प्रीमल था उसको चेंज कर दिया गया तो यह दो
न्यू वर्ड जो थे उसमें ऐड कर दिए गए सौवनियर सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक तो ये क्वेश्चन भी आपको आ सकता है कि बाय व्हिच अमेंडमेंट ये अभी मैं इसका बता रहा हूं कि कौन सी अमेंडमेंट से जो सोशलिस्ट है ठीक है और ये जो सेकुलर वर्ड है ये हमारे
कांस्टिट्यूशन में इंट्रोड्यूस किए गए थे प्रिंबल में इं इंट्रोड्यूस किए गए थे तो वो हमारा 42 अमेंडमेंट है 1976 ठीक है उसके बाद 42 अमेंडमेंट 1976 में और क्या ऐड हुआ था उसी अमेंडमेंट में जो हमारे पास इस टाइम पर क्या है यूनिटी एंड इंटीग्रिटी ऑफ नेशन लास्ट में जो लिखा
गया है लास्ट में लिखा गया है यूनिटी एंड इंटीग्रिटी ऑफ ए नेशन ठीक है यह आ गया नीचे यूनिटी यह देखो यह है ना लास्ट लाइन यूनिटी एंड इंटीग्रिटी ऑफ ए नेशन तो पहले यह क्या होता था सिर्फ यूनिटी ऑफ ए नेशन होता था तो 42 अमेंडमेंट
के बाद इसको भी चेंज कर दिया गया तो हमारे पास क्या आ गया यूनिटी एंड क्या ऐड हुआ इंटीग्रिटी ठीक है इंटीग्रिटी भी 42 अमेंडमेंट तो इन नट शेल 42 अमेंडमेंट 1976 में हमारे पास सोशलिस्ट सेकुलर और इंटीग्रिटी यह हमारे प्रिंबल में ऐड हुए थे ये तीन वर्ड ठीक है बहुत ही इंपॉर्टेंट
है यह चीज ठीक है अब उसके बाद है हमारा जो प्रिंबल है उसका क्या पर्पस है प्रिंबल का क्या पर्पस है पूरा यहां पे डिटेल में लि आपको नोट्स जो है ये पीडीएफ नोट्स जो है t ग्रा पे मिल जाएंगे तो क्या पर्पस है अभी मैंने
बोला कि हमारा जो प्रिंबल है बेसिकली वो ऑब्जेक्टिव बताता है कांस्टिट्यूशन का अब परपज क्या है तो प्रिंबल बेसिकली इज ए डिक्लेरेशन क्या डि डिक्लेरेशन है सबसे पहला आ गया सोर्स ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन कहां से सोर्स अभी हमने सोर्सेस पढ़े थे पीछे उसके बाद सेकंड क्या है द द
स्टेटमेंट्स ऑफ इट्स ऑब्जेक्टिव्स थर्ड क्या है द डेट ऑफ इट्स अडॉप्ट एंड एनेक्टमेंट ये तीन चीजें जो है प्रिंबल में ठीक है यह बेसिकली पूरा उसमें बताया गया पर्पस सबसे पहला क्या है सोर्स ऑफ द कांस्टिट्यूशन उसके बाद स्टेटमेंट ऑफ इट्स ऑब्जेक्टिव कांस्टिट्यूशन का क्या ऑब्जेक्टिव है उसके बाद डेट जो लास्ट में
था हमारे पास डेट ऑफ इट्स अडॉप्ट एंड एनेक्टमेंट लास्ट में यही था ना ठीक है मतलब कि कहना क्या चाहता है देखो मैं आपको समझाता हूं कि है क्या यह चीज़ सोर्स ऑफ़ अवर कॉन्स्टिट्यूशन मतलब कि बेसिकली जो हमारा कॉन्स्टिट्यूशन है यह मैं बताता हूं कि इसमें क्या सोर्स
ऑफ़ कॉन्स्टिट्यूशन किसको बोलते हैं क्या चीज़ है यह जो कॉन्स्टिट्यूशन भी बेसिकली बना है यह किससे बना है व द पीपल ऑफ़ इंडिया मतलब कि यह कॉन्स्टिट्यूशन हमने ही बनाया है ठीक है यह आ गया सबसे पहला सोर्स ऑफ़ द कॉन्स्टिट्यूशन वी द पीपल ऑफ इंडिया सॉलमन रिजॉल्व टू कांस्टीट्यूट इंडिया
इनटू ए सवन यर सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक एंड स्कर टू ल इट सिटीजन अब आपके दिमाग में आ र है हमने कैसे बनाया कांस्टिट्यूशन देखो अभी पिछले लेक्चर में पढ़ा था जो कांस्टिट्यूशन बनाया था उसमें हमारे पास एक ड्राफ्टिंग कमेटी थी ठीक है जिसको हेड किया था बी आर
अंबेडकर डॉक्टर बी आर अंबेडकर ने ठीक है उन्होंने ड्राफ्ट किया था अब जब व कंस्टीटूशन ड्राफ्ट बन गया था उसके बाद जो हमारे पास असेंबली था उसमें बहुत सारी सीटिंग्स हुई थी मैंने बताया दो साल लग गए थे उसको ठीक है तो बहुत सारी सीटिंग्स हुई
और उस असेंबली में बैठा कौन था जो हमारी उस टाइम पर कंसीट असेंबली थी उनमें कौन लोग बैठे थे उनमें वही लोग बैठे थे जिनको उस टाइम पर हमारे इंडिया के जो लोग थे उन्होंने क्या किया था वोट वोट किया था उनको जिताया था और उनको जैसे ही अभी इस
टाइम पर जो होता है जैसे लॉज बनते हैं पार्लियामेंट में लॉज बनते हैं और वो कौन बनाता है जो हमारे जो हमारे चुने हुए जो प्रतिनिधि होते हैं ठीक है जो मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होते हैं वो हमने ही चुना है ना हमने ही उनको वोट दिया है ना तो वही
फिर वो लॉज बनाते हैं तो वही आ ग कि हम लोगों ने उनको चुना है और वो पार्लियामेंट में बैठ के हमारे लिए लॉज बना रहे हैं इस कंट्री के लिए ठीक है रूल्स बना रहे हैं तो यही आ गया इसको बोलते हैं सोर्स ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन तो मतलब कि सोर्स ऑफ
कांस्टिट्यूशन जो है वो क्या है पीपल ऑफ इंडिया और उसके बाद सेकंड जो था उसमें बोला था कि जो हमारा पर्पस क्या है सो सेकंड स्टेटमेंट था तो स्टेटमेंट ऑफ इट्स ऑब्जेक्टिव अब उसमें हमारे पास जो कांस्टिट्यूशन के क्या ऑब्जेक्टिव व में स्टेटमेंट ऑफ ऑब्जेक्टिव्स में क्या-क्या
आएगा तो उसमें हमारे पास आ गया ये जस्टिस लिबर्टी ये सवय सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आ गया उसके बाद जस्टिस लिबर्टी इक्वलिटी एंड फ्रेटरनिटी ये सारे हमारे पास आ गए स्टेटमेंट ऑफ इट्स ऑब्जेक्टिव्स अब बेसिकली तीसरा मतलब कि कांस्टीट्यूशन जो हमारा पर्पस है वो तीन चीजों में डिवाइड है सबसे पहले सोर्स ऑफ़
द कॉन्स्टिट्यूशन स्टेटमेंट ऑफ ऑब्जेक्ट्स एंड द लास्ट वन इज उसके लास्ट में क्या था कि उसमें जो हमारी डेट थी एनेक्टमेंट की जो डेट थी वो हमने हमारे जो प्रिंबल है उसमें हमने मेंशन की हुई है तो ये आ गई हमारे पास तो ये तीन चीजें जो होती ये
बेसिकली हमारा परपज है ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन जो डिक्लेरेशन है उसके बारे में ये आप देख सकते हो अब आपको समझ आ गया कि सोर्स ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन क्या होता है तो वी द पीपल ऑफ इंडिया स्टेटमेंट ऑफ इट्स ऑब्जेक्टिव वो सब कुछ जो भी उसके ऑब्जेक्टिव्स है फ्रेटरनिटी उसके बाद डेट
ऑफ इट्स अडॉप्ट एंड एनेक्टमेंट आपको ये भी आ सकता है क्वेश्चन प्रिंबल बेसिकली इज अ डिक्लेरेशन ऑफ आपको चार ऑप्शन दिए जाएंगे ठीक है तो ये तीनों स्टेटमेंट जो है ये डिक्लेरेशन है किसकी अ प्रिंबल की ओके तो उसके बाद प्रिंबल जो है वो बेसिकली क्या
था बिगिंस विद ए शॉर्ट स्टेटमेंट के साथ वो शुरू हुआ जिसमें उसमें हमारे पास क्या है बेसिक वैल्यूज उसमें हमने लिखी गई हैं उसके बाद फिलॉसफी जो हमारे कॉन्स्टिट्यूशन की है वो बताता है वही य ये चीज आ गई स्टेटमेंट ऑफ हिस ऑब्जेक्टिव्स बेसिकली फिलॉसफी बताता है हमारे कांस्टिट्यूशन की
हमारा वो क्या है और और वही जो पहले बताया मैंने प्रीफेस ऑफ द बुक जो कॉन्स्टिट्यूशन है उसका वो इंट्रोडक्शन है और प्रीफेस है हमारा और यह हमारा कांस्टिट्यूशन का एक स्पिरिट है ठीक है उसके बाद कांस्टिट्यूशन जो है इज अ की टू माइंड्स ऑफ जो हमारे ड्राफ्टमैन थे जिस
टाइम पे वो कांस्टीट्यूशन बना रहे थे उनके दिमाग में ये चीज थी प्रिंबल को उन्होंने सामने रखा था उसके बाद इसको याद रखना ये लास्ट पॉइंट जो है बहुत ही इंपोर्टेंट है ये कांस्टिट्यूशन अ ये आपको एग्जाम में भी आ सकता है इट इज अ सोल ऑफ आवर
कांस्टिट्यूशन क्या है प्रिंबल इज द सोर्स ऑफ अवर कांस्टिट्यूशन तो यह भी आ सकता है कि डैश इज द व्हि इज द सोल ऑफ अवर कांस्टीट्यूशन इसमें आपको एमसीक्यू में ऑप्शन दे देंगे प्रीमल आ गया उसके बाद फंडामेंटल राइट्स फंडामेंटल ड्यूटीज वगैरह वगैरह याद रखना प्रीमल इज द सोल ऑफ अवर
कांस्टिट्यूशन तो होप आपको यहां तक समझ आ गया होगा अगर कोई डाउट है तो कमेंट सेक्शन में जरूर लिखिए आप कि क्या है तो अब हम थोड़ा सा इसको डिटेल में पढ़ेंगे क्योंकि अब जेकेएसएसबी जो है है वो आपकी बेसिक नॉलेज भी चेक कर रही है तो आपको सीधा
क्वेश्चन नहीं मिलेगा वहां पर तो अब हम इसको थोड़ा सा डिटेल में पढ़ेंगे प्रिंबल और उसकी इंटरप्रिटेशन क्या है ठीक है जो भी उसमें हमने लिखा था तो वही जो चीज मैंने अभी आपको बताई वी द पीपल ऑफ इंडिया इसका क्या मतलब है वी द पीपल वी वी कौन हो
गया हम लोग वी कौन है हम लोग द पीपल ऑफ इंडिया मतलब कि जिनसे वही जो अभी मैंने पीछे आपको समझाया हु आर द सोर्स ऑफ अथॉरिटी बिहाइंड द कॉन्स्टिट्यूशन बेसिकली हम लोग ही इस कांस्टिट्यूशन के पीछे सोर्स हैं हमने लोगों को चुना मेंबर्स ऑफ पार्लिमेंट बने असेंबली के बने फिर
उन्होंने क्या किया कांस्टीट्यूशन जो है वो तो ड्राफ्टिंग कमेटी ने बनाया फिर वो ड्राफ्टिंग कमेटी ने कांस्टिट्यूशन पेश किया कहां पे अस जैसे इस टाइम पे बिल जो है हमारे पार्लियामेंट में इंट्रोड्यूस होते हैं लोकसभा से पास होता है फिर अ राज्यसभा से पास होता है फिर प्रेसिडेंट
का उसको साइन मिलता है तो वैसे ही सेम उसी टाइम पे भी ऐसा ही हुआ था ठीक है वहां पे बहुत सारी सीटिंग्स हुई थी बहुत सारी अमेंडमेंट्स उसमें लाई गई थी ठीक है तो फर्स्ट यह आ गया उसके बाद जो कांस्टिट्यूशन प्रिंबल है तो यह क्या है
हमारा इसको यह वही चीज आ ग इसमें लिखा हुआ है इसको मैं आपके साथ ये शेयर करूंगा तो आप उसके बाद इसको रीड कर लेना अभी मैं समझा रहा हूं तो उसके बाद आप रीड करोगे फिर आपको ज्यादा अंडरस्टैंड होगा उसके बाद क्या आता है हैविंग सोलमनली रिजॉल्व टू
कॉन्स्टिट्यूशन इंडिया अब इस लाइन का क्या मत मतलब है ध्यान से पढ़ो है सोलेनली रिजॉल्व टू कांस्टीट्यूट इंडिया मतलब कि ये जो कांस्टिट्यूशन है और जो प्रीमल है तो इसका क्या मतलब है कि ये यहां पे कि रिजॉल्ट टू कंसीट इंडिया मतलब कि हम लोग जो है अब इस कांस्टिट्यूशन के जितने भी
इसमें प्रोविजंस है सपोज प्रिंसिपल्स आ ग इसमें रूल्स रेगुलेशन जो भी चीजें आ गई हम क्या करेंगे अब इसको हम फॉलो करेंगे फुल रिस्पेक्ट देंगे हम इस कांस्टिट्यूशन को तो यह कह रहा है इसमें उसके बाद नेक्स्ट वेरी इंपॉर्टेंट अ जो इसमें आ रहा है आपका दैट
इज सोव नियर तो सोव नियर का मतलब क्या होता है कि अब देखो हमारा जो देश था कब आजाद हुआ था उसको इंडिपेंडेंस कब मिली थी कमेंट सेक्शन में बताइएगा व्हेन अवर इंडिया गॉट फ्रीडम कब उसको मिली थी ठीक है तो देखो पहले जो फ्रीडम से पहले हमारा जो
इंडिया था उसको कौन रूल करता था ब्रिटिशर्स रूल करते थे है ना और भी बहुत सारे लोग आए थे फॉरेन कंट्री आए थी तो उन्होंने रूल किया था है ना तो अब जब इसमें हमने सोनियर वर्ड डाल दिया तो सोनियर का मतलब क्या होता है कि अब जो
हमारी कंट्री है जो नेशन है अब वो टोटली फ्री है फ्रॉम एनी एक्सटर्नल कंट्रोल और इंटरफेरेंस मतलब कि अब हमारे इंडिया में कोई भी इंटरफेयर नहीं कर सकता हमारे इंडिया के जो भी मस मसले हैं उसमें कोई भी इंटरफेयर नहीं कर सकता किसी भी एरिया में
जितना भी इंडियन टेरिटरी है यहां पर कोई भी अपनी इवॉल्वमेंट नहीं कर सकता अब हमारा इंडिया जो है वो क्या है सोनियर बन गया है अब हमें कोई भी डिक्टेट नहीं कर सकता एक्सटर्नली कोई भी हमें नहीं कर सकता ठीक है फॉरेन पावर कुछ
भी किसी के अंडर हम नहीं है तो यह इसका मतलब है क्या है सावनेर का मतलब होता है ठीक है अब हम लोग खुद जो है अपने कांस्टिट्यूशन तो हमने बना लिया है और बाकी जो चीजें हमें रिक्वायर्ड होती हैं हम वोह बनाते हैं जो भी चीजें होती हैं
जैसे कोई पॉलिसीज बना रही है गवर्नमेंट ठीक है तो वो सारी चीजें जो हैं अब हम फ्री विल से बनाते हैं किसी का हमारे ऊपर कोई प्रेशर नहीं होता है ठीक है और उसके बाद एक और बहुत चीज इंपॉर्टेंट है अब हमारे कंट्री की जो मेंबरशिप है वो किसकी
है कॉमन वेल्थ ऑफ नेशन एंड दैट द यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइज डू नॉट रिस्ट्रिक्टर सोवर निटी अब जैसे कॉमनवेल्थ नेशन भी है बाकी यूएनओ तो वो भी हमें रिस्ट्रिक्टर सकते हम हमारी मर्जी है कि हम जो करना चाहते हैं वह कर सकते हैं मतलब ये एक्सटर्नल हमारे
ऊपर किसी का प्रेशर नहीं होगा अब उसके बाद आ गया सोशलिस्ट ठीक है अब क्या आ गया उसके बाद सोशलिस्ट अब सोशलिस्ट का क्या मतलब अब सोशलिस्ट का क्या मतलब होता है देखो एक सबसे पहले जो इसमें इंपोर्टेंट बात है आपको पता है कि सोशलिस्ट जो था हमारा जो ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन था उसमें
नहीं था तो ये वर्ड जो था 42 अमेंडमेंट 1976 में इसको इंट्रोड्यूस कर दिया गया अब सोशलिस्ट का क्या मतलब होता है सोशलिस्ट का यह मतलब होता है कि जो हमारी कंट्री में हमारी नेशन में जो सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट है उसमें क्या होता है कि जो
मींस ऑफ प्रोडक्शन होते हैं वो क्या होता है होली या पार्शियली कंट्रोल बाय द स्टेट मतलब कि जो हमारी प्रोडक्शन जैसे फैक्ट्रीज होंगी जो पहले हमारा सोशलिस्ट हमारा जो स्टार्टिंग में हमारा जो जो प्लान था इंडिया का वो सोशलिस्ट पैटर्न ही था आफ्टर 90स के बाद हमारा जो था वो क्या
होगा मिक्स मिस मिक्सड इकॉनमी होगी ठीक है पहले हमारा सोशलिस्ट पैटन ही था यूएसएस की तरह ठीक है रशिया की तरह तो बट अब हमारा जो है पैटर्न वो चेंज हो चुका है इकॉनमी का तो सोशलिस्ट में यही होता है कि जो मींस ऑफ प्रोडक्शन है वो या तो पूरा का
पूरा गवर्नमेंट के पास होता है या थोड़ा सा कंट्रोल होता है ठीक है ये आपका सोशलिस्ट आ गया और इसमें सोशलिस्ट में क्या होता है कि हमारे पास सोशल और इकोनॉमिक जो है वो इक्वलिटी होनी चाहिए सोशल इक्वलिटी का मतलब क्या है इसमें जो हमारी सोसाइटी है सोसाइटी में किसी भी तरह
का कोई भी डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए ऑन द बेसिस ऑफ एनी मतलब कि कास्ट के ऊपर कलर के ऊपर सेक्स के ऊपर क्रीड के रिलीजन के ऊपर लैंग्वेज के ऊपर किसी तरह का कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए हर एक इंसान जो हमारे इंडिया में है वह इक्वल है
हम यह नहीं कह सकते कि वो ज्यादा अ उसका रिलीजन ऊपर है हमारा रिलीजन छोटा है या इस तरह से सेक्स के बेसिस पे हम किसी को डिस्क्रिमिनेट नहीं कर सकते ठीक है काजम नहीं हो सकता तो हर एक इंसान अब जो है वो क्या है उसको इक्वलिटी है हर चीज में जॉब
के लिए भी उसको अ इक्वलिटी है स्टेटस के लिए भी उसको इक्वलिटी है कहीं पे भी वो जा सकता है तो कोई भी उसके साथ डिस्क्रिमिनेशन नहीं कर सकता अगर कोई उसके साथ डिस्क्रिमिनेशन करेगा ही और शी वह क्या कर सकता है कोर्ट में जा सकता है किस
बेसिस पे जाएगा अगर उसके ऊपर डिस्क्रिमिनेशन होगा अब वही बात आ गई सोशलिस्ट के ऊपर वह बोलेगा भाई हमारे कॉन्स्टिट्यूशन में जो सोशलिस्ट वहां पे सोशल इक्वलिटी बोला गया यह हमारा फंडामेंटल राइट्स में भी आएगा हम किसी को डिस्क्रिमिनेट नहीं कर सकते तो कोर्ट जो है वह इस बेसिस पे जो डिस्क्रिमिनेशन कर
रहा है उसको क्या कर सकता है पनिशमेंट दे सकता है तो अब समझ आया आपको ठीक है तो अ उसके बाद नेक्स्ट जो है वो है सेकुलर आ गया वेरी इंपॉर्टेंट तो सेकुलर क्या होता है वर्ड देखो अब वर्ड जो सेकुलर है यह भी हमारा ओरिजिनल कांस्टिट्यूशन में कहीं
नहीं था तो यह भी हमारा 42 अमेंडमेंट 1976 में जो अ कांस्टिट्यूशन का जो प्रीमल है उसमें लाया गया था तो सो सेकुलर का मतलब होता है कि हमारे इंडिया में कोई भी सुप्रीम रिलीजन नहीं है याद रखना हमारे इंडिया में कोई भी सुप्रीम रिलीजन नहीं ही
है हर एक रिलीजन चाहे हिंदू हो मुस्लिम हो सिख हो ईसाई हो बुद्धिज्म हो जितने भी रिलीजन है सब इक्वल है और सबको इक्वल रिस्पेक्ट मिलेगी कोई नहीं बोल सकता भाई मेरा रिलीजन सुप्रीम है या तेरा रिलीजन सुप्रीम है कोई भी नहीं कह सकता मतलब कि
हर एक रिलीजन को इक्वल स्टेटस दिया गया है हमारे कांस्टिट्यूशन में हर एक रिलीजन को इक्वल रिस्पेक्ट दी गई है हमारे कांस्टिट्यूशन में ठीक है ये हम सेकुलर जो है है यह हम फंडामेंटल राइट्स में भी पढ़ेंगे इसके लिए स्पेशली फंडामेंटल राइट्स दिए गए हैं 25 टू 28 आर्टिकल जो है
जिसमें फ्रीडम ऑफ रिलीजन की बात की गई है हर एक इंसान को अपने रिलीजन को वो हम फंडामेंटल राइट्स में पढ़े में यहां पे लेंथी हो जाएगा तो बस सेकुलर का याद रखना सेकुलर स्टेट वो स्टेट होती है जिसमें कोई भी रिलीजन जो है वो सुप्रीम नहीं होता हर एक रिलीजन जो है
वो क्या है इक्वल है ठीक है यह मतलब है सेकुलर का उसके बाद डेमोक्रेटिक डेमोक्रेटिक तो आपको पता ही होगा बचपन से पढ़ते आ रहे हैं डेमोक्रेटिक क्या होता है तो थोड़ा सा यह भी पढ़ लेते हैं मे बी आपको एग्जाम में आ सकता है जो डेमोक्रेटिक
है वो बेसिकली उसका जो लीगल स्टेटस था वो क्या था म डेमस कटस व्हिच मींस रूल ऑफ पीपल ठीक है इसको बेसिकली लीगल स्टेट डेमस क्रेटर बोला जाता है तो इसको क्या बोला जाता है रूल ऑफ पीपल ठीक है रूल ऑफ पीपल अब मुझे डेमोक्रेटिक की जो डेफिनेशन है जो
जो हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कमेंट सेक्शन में जरूर लिखिए क्या होता है डेमोक्रेसी ठीक है तो इसमें होता क्या है वेयर गवर्नमेंट के पास अथॉरिटी होती है ठीक है तो कब अथॉरिटी होगी जब वह गवर्नमेंट जो है क्या होती है इलेक्शंस होते हैं आपको पता ही है इलेक्शन होते हैं
तो उसमें जो जितने भी पार्टिसिपेंट होते हैं जो पार्टिसिपेट करते हैं तो इलेक्शन में तो वो चुन के आते किससे आते हैं तो यह आ गया डेफिनेशन आपकी डेमोक्रेसी की बाय द पीपल ऑफ द पीपल एंड फॉर द पीपल तो यह है डेमोक्रेसी का यह मतलब होता है यह और यह
भी आ सकता है कि यह फेमस डेफिनेशन ऑफ डेमोक्रेसी किसने दी थी अब्राहम लिंकन ने दी थी अब मुझे जरा यह बताएं जो अब्राहिम लिंकन थे वो कौन थे और कौन सी कंट्री के वो हेड रहे हैं ठीक है बताएं मुझे तो डेमोक्रेसी क्या होती है इज बाय द पीपल
हमसे हम हमारे लिए हम लोगों की ठीक है तो इसको हम बोलते हैं बाय द पीपल ऑफ द पीपल एंड फॉर द पीपल तो यह मतलब होता है डेमोक्रेसी का ठीक है और हमारे प्रिंबल में भी हमने सबसे स्टार्टिंग में यही लिखा था वी द पीपल ऑफ
इंडिया और लास्ट पार्ट में हमने क्या लिखा था गिव टू आवर सेल्व दिस कांस्टिट्यूशन जिसमें क्लीयरली ये इंडिकेशन है कि डेमोक्रेटिक स्पिरिट जो है हमारे कांस्टिट्यूशन में भी हमें देखने को मिलता है तो इंडिया इज ए डेमोक्रेसी ठीक है इंडिया क्या है डेमोक्रेटिक कंट्री है
जहां पर हर एक इंसान के पास पूरा फुल राइट है कि वह जो है इंसान इलेक्शन में खड़ा हो सकता है और हर एक इंसान को प्राइम मिनिस्टर प्रेसिडेंट मिनिस्टर सीएम गवर्नर बनने का चांस है कोई भी इलेक्शन लड़ सकता है बट उसके लिए क्या होना चाहिए एज उसमें
मिनिमम एज रखी गई है वो यहां पे आ गया यह तो वोटिंग की एज आ गई कि 18 साल के ऊपर जो कोई भी है हमारे इंडिया में वह क्या कर सकता है इलेक्शन में वोट अपना वोट जो है अपने कैंडिडेट को दे सकता है ठीक है तो
अ तो इसमें एक और चीज इंपॉर्टेंट है तो वो क्या इंपॉर्टेंट है आप इसको रीड कर लीजिएगा मैं आपको समझा देता हूं तो हमारे जो इंडिया की गवर्नमेंट है वो हमें पता क्या है डेमोक्रेटिक गवर्नमेंट है जिसको अ किसने चुना होता है हमारे हम लोगों ने
ही चुना होता है और वही लोग जो है हमारे जो रिप्रेजेंटेटिव्स होते हैं तो वह गवर्नमेंट बनाते हैं और याद रखना एग्जीक्यूटिव हेड हमारे इंडिया का याद रखना हमारे इंडिया का एज ए हम ऐसे स्टेट लेके चलते हैं ठीक है एग्जीक्यूटिव हेड ऑफ स्टेट जो है हमारे इंडिया का कौन होता है
याद रखना प्रेसिडेंट इज द एग्जीक्यूटिव हेड और याद रखना कि प्रेसिडेंट जो है उसको इलेक्टिक रिप्रेजेंटेटिव कहा जाता है किसका ऑफ द पीपल और वो हेरेडिटरी मोनार्क नहीं है जैसे इंग्लैंड में में होता है ठीक है और इंडिया में जो प्रेसिडेंट को इलेक्ट किया जाता है उसमें जो इलेक्शन
होते हैं याद रखना दैट इज वेरी इंपॉर्टेंट इलेक्टेड इनडायरेक्टली क्या होता है इनडायरेक्टली उसको इलेक्ट किया जाता है प्रेसिडेंट को और प्राइम मिनिस्टर को डायरेक्टली इलेक्ट किया जाता है और हमारे इंडिया में जो डेमोक्रेसी है डेमोक्रेटिक है तो हमारे इंडिया में तीन लेवल की गवर्नमेंट है थ्री टायर स्ट्रक्चर है
हमारे इंडिया का याद रखना यह भी थ्री टायर स्ट्रक्चर है वो कैसे सबसे पहले हमारी कौन सी गवर्मेंट आती है यूनियन आती है उसके बाद कौन सी आती है स्टेट आती है और तीसरे लेवल पे हमारी लोकल सेल्फ गवर्नमेंट आती है लोकल सेल्फ गवर्नमेंट जो हमारी पंचायत
और मुंसिपल आती है तो हमारे इंडिया में थ्री टायर गवर्नमेंट है तो यह चीज भी बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है ठीक है और हमारा जो अ सिस्टम है इसका इलेक्शन का यूनिवर्सल अडल्ट फ्रेंचाइजर बेस बेस है जिसमें क्या बोला जाता है कि वन मैन वन वोट एक इंसान
एक ही वोट कर सकता है और कब कर सकता है जब उसकी 18 साल की उम्र होगी तो वही इंसान जो है वह वोट कर सकता है तो दैट इज वेरी इंपॉर्टेंट और इसमें भी किसी तरह का डिस्क्रिमिनेशन नहीं होता है कि यह लोग
वोट कर सकते हैं यह लोग नहीं कर सकते तो उसमें हर एक इंसान जो है वह वोट कर सकता है तो होप आपको यहां तक समझ आ गया होगा अब इसमें नेक्स्ट जो है अब नेक्स्ट जो है वह हमारा है रिपब्लिक तो रिपब्लिक का क्या मतलब होता है मतलब कि
जो हमारा इंडिया मतलब कि जो कांस्टिट्यूशन हमारा जो है वो क्या है याद रखना रिपब्लिकन इन नेचर मतलब कि जो हमारा एग्जीक्यूटिव हेड है इंडिया का वो क्या है हेरेडिटरी मोनार्क नहीं है याद रखना हमारा इंडिया का कांस्टिट्यूशन है रिपब्लिकन इन नेचर ब्रिटेन का क्या है हेरेडिटरी
मोनार्क मतलब कि वहां पे जो किंग है वो हेरेडिटरी है एक हेरेडिटरी चलती आ रही है उसी उसी फैमिली का ही जो किंग बनता है उसी फैमिली का बनता है बट हमारे इंडिया में अभी मैंने पीछे समझाया कि कोई भी इंसान चाहे वो बिल्कुल लो लेवल
पे हो वह भी हमारा इंडिया का प्रेसिडेंट बन सकता है जैसे हमारे एपीजे अब्दुल कलाम जो प्रेसिडेंट थे अभी अभी मुझे कमेंट सेक्शन में बताइएगा जो प्रेजेंट हमारे प्रेसिडेंट है इंडिया के वह कौन है उनका क्या नाम है और वह कौन सी स्टेट से बिलोंग करते हैं आप
सबको पता होगा वो पता होना चाहिए तो रिपब्लिक का मतलब है कि हमारा जो एग्जीक्यूटिव हेड होता है वह मोनार्क नहीं है हेरिडिटी मोनार्क नहीं है वो बाय इलेक्शन इनडायरेक्ट इलेक्शन होते हैं उसको हम इलेक्टेड हेड भी कहा जाता है ठीक है इलेक्टिक हेड कहा जाता क्योंकि वोह चुन के
आता है इंग्लैंड की तरह नहीं वहां पर वही जो क्या होते हैं किंग और क्यून जो है वह हेरेडिटरी नेचर होते है उनको इलेक्ट नहीं किया जाता तो हमने यह सोर्सेस ऑफ कांस्टिट्यूशन में पढ़ाया था पीछे पढ़ा था कि जो हमने कांसेप्ट था बीइंग रिपब्लिक यह
हमने कहां से लिया है फ्रांस से लिया है ठीक है तो आगे वही पूरा एक्सप्लेन किया है कि मोनार्की में क्या होता है क्या नहीं होता है यह आप पूरा पढ़ लेना नीचे पूरा एक्सप्लेन किया है उसके बाद तो प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया जो है उसको हमारे पास क्या होता
है इलेक्शन के लिए इलेक्टोरल कॉलेज कॉलेज जो है वो बनाए जाते हैं उसमें फिर हम अ प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की लेक्शन होती है और प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया जो है वो कितने दिन कितने किने साल के लिए अपॉइंट्स के लिए हम जो है उसको इंडिया में
उसका टेनर होता है ठीक है और पोस्ट ऑफ प्रेसिडेंट जो है वो हेरिडिटी नहीं होती है हर एक बंदा जो है इंडिया में वो प्रेसिडेंट बनने के काबिल मतलब कि बन सकता है ठीक है उसके बाद इंडिया बिकम रिपब्लिक ऑन कब बना था हमारा इंडिया रिपब्लिक 26
जनवरी 1950 में बना था उसके बाद नेक्स्ट जो इंपॉर्टेंट है उसमें क्या है एंड टू सक्योर टू ऑल इट्स सिटीजन इसका मतलब क्या है यह स्टेटमेंट जो कहती है कि जो अल्टीमेट ऑब्जेक्टिव है कांस्टिट्यूशन का वो क्या कहता है कि हम लोग उसको सिक्योर करते हैं अब नेक्स्ट है जस्टिस सोशल
इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल ट इज आल्सो वेरी इंपोर्टेंट अब ज जहां पे यहां पे जस्टिस की बात हो रही है जस्टिस किस-किस की सोशल इकोनॉमिक और पॉलिटिकल होनी चाहिए तो यह जो वर्ड्स हैं ये क्या इंडिकेट कर रहे हैं कि हमें जस्टिस चाहिए इकोनॉमिक सोशल और
पॉलिटिकल मतलब कि किसी भी तरह सा किसी भी तरह से हमारे साथ कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए ऑन द बेसिस ऑफ कास्ट रिलीजन जेंडर ठीक है किसी तरह से हमें कि कोई किसी चीज से डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए और जो गवर्नमेंट है या स्टेट है उसको क्या करना
चाहिए उसको काम करना चाहिए फॉर द वेलफेयर ऑफ द पीपल उसका यह ऑब्जेक्टिव होना चाहिए ठीक है उसके बाद इकोनॉमिक जस्टिस की बात करें इकोनॉमिक जस्टिस में क्या होता है इकोनॉमिक जस्टिस में यह है है कि हमारी जो पॉलिसीज होती हैं वो एकदम रैशनल पॉलिसीज
होनी चाहिए उसमें कोई किसी भी तरह का कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए और प्रॉपर इंप्लीमेंटेशन होनी चाहिए और सोशल जस्टिस इकोनॉमिक जस्टिस हैज बीन इंश्योर्ड यह हमारे पास डायरेक्टेड प्रिंसिपल ऑफ स्टेट पॉलिसी में हम इसको पढ़ेंगे इकोनॉमिक जस्टिस में ठीक है उसके बाद पॉलिटिकल जस्टिस तो पॉलिटिकल जस्टिस में क्या है
मतलब कि हमारे इंडिया में हर एक इंसान जो है वो वोट के लिए एलिजिबल है अडल्ट जो अभी हमने पीछे पढ़ा बट उसको क्या होना चाहिए सिटीजन मस्ट बी अटन द एज ऑफ 18 इयर्स तो सो दैट फिर उसके बाद वो वोट कर सकता है उसके बाद सोशल जस्टिस अभी हमने
ऊपर पढ़ा कि सोशल जस्टिस में क्या होता है कि किसी भी के साथ कोई भी किसी तरह का डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए कोई भी हर एक इंसान जो है वो इक्वल है चाहे वो जितना मर्जी अमीर हो ठीक है और जैसे अपॉर्चुनिटी जॉब्स की बात करें जैसे अभी आप फॉर्म फिल
करते हो किसी के साथ किसी तरह का कोई डिस्क्रिमिनेशन होता है नहीं होता है हां इसमें ये है कि सुपरवाइज र में सिर्फ जो फीमेल है वही अप्लाई कर सकती है मेल को इसमें नहीं मौका दिया गया है उसके बाद जैसे रेस आ गया कास्ट रिलीजन किसी तरह से
कोई भी डिस्क्रिमिनेशन नहीं होगा सोशल जस्टिस होगी और आर्टिकल हमारे पास स्पेसिफिकली फंडामेंटल राइट्स आता है फ्रॉम 14 टू 18 जिसमें हमने इक्वलिटी ऑफ स्टेटस की बात की गई है और अपॉर्चुनिटी की बात की गई है ठीक है तो यह सारी चीजें आ गई और सोशल जस्टिस
जो कांसेप्ट था यह हमने प्रिंबल में क्यों रखा है ताकि हम लोग जो प्रोटेक्ट कर सके किन लोगों को इंटरेस्ट ऑफ द वीकर सेक्शन जो हमारे सोसाइटी में है जो लोग वीक है उसके बाद अ सोशल जस्टिस का क्या मोटिव है इकोनॉमिक इक्वालिटीज इक्वालिटीज जो है उसको कम किया जाए उसके बाद डिसेंट
स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग जो है वो लोगों को मिलना चाहिए ठीक है तो ये सारा जो है सोशल जस्टिस जो है उसका बेसिकली एक एम है जो हमारे कांस्टिट्यूशन में है ठीक उसके बाद आ गया लिबर्टी ऑफ थॉट एक्सप्रेशन बिलीफ फेथ एंड वरशिप लिबर्टी का मतलब हमारे पास फ्री हर एक
इंसान जो चाहे वह सोच सकता है उसके बाद एक्सप्रेस कर सकता है अपनी जो भी चीज है बिलीफ किसी के ऊपर बिलीफ कर सकता है जिसके ऊपर उसने फेथ रखना है रखे वरशिप जिसको वरशिप करना है उसने वो करे कोई भी किसी इंसान को फोर्सफुली कोई भी चीज नहीं करवा
सकता लिबर्टी है उसके पास ठीक है क्या है उसके पास लिबर्टी है तो सिंपल वर्ड्स में बोले कि अनरीजनेबल रिस्ट्रिक्शन ऑन द सिटीजन नहीं है किसी के ऊपर कोई भी फालतू की रिस्ट्रिक्शंस नहीं लगाई जाएंगी ठीक है यह भी हम फंडामेंटल राइट्स में पढ़ेंगे उसके बाद आ गया फ्रेटरनिटी एश्योरिंग द
डिग्निटी ऑफ द इंडिविजुअल एंड द यूनिटी ऑफ यूनिटी एंड द इंटीग्रिटी ऑफ ए नेशन ठीक है अब देखो फ्रेटरनिटी का मतलब क्या होता है कि हमारा जो इंडिया में अब हमें पता है कि हमारे इंडिया जो है 28 स्टेट्स में डिवाइड है उसके बाद यूनियन टेरिटरीज है हमारे पास एट
और हमें पता है कि हमारे इंडिया में कितने सारे डिफरेंट रिलीजन तो है ही है और हमारे इंडिया में अगर आप एक स्टेट से दूसरी स्टेट में जाते हो वहां पर आपको डिफरेंट टाइप्स के लोग मिलेंगे उनका रिलीजन उनका कल्चर उनका खाना पना हर एक चीज डिफरेंट
मिलेगी तो फ्रेटरनिटी डालने का मतलब क्या था हमारे कांस्टिट्यूशन में ताकि हमारे जो लोग हैं इंडिया के उनके बीच में क्या रहे ब्रदरहुड भाईचारा रहे क्या रहे बाय चरा ताकि लोगों को यह पता चले कि हमारे कांस्टिट्यूशन में ही बोला गया है कि हम लोगों को सबको रिस्पेक्टिव ऑफ अवर रिलीजन
अवर कास्ट अवर लैंग्वेज अवर रीजंस हमें क्या करना है हमें इकट्ठा रहना है तो यह मतलब है किसका फ्रेटरनिटी का ठीक है बहुत ही इंपॉर्टेंट है तो यह भी हम आर्टिकल में फंडामेंटल राइट्स में हम पढ़ेंगे और फ्रेटरनिटी में जैसे अब मैंने बताया कि हमा हमारे पास डिफरेंट स्टेट्स है बट हमें
क्या है सिंगल सिटी सिटीजनशिप दिया गया है यह भी फ्रेटरनिटी में आ गया ठीक है और इसमें हमारे पास हम कहीं प भी जा सकते हैं थ्रू आउट द कंट्री थ्रू आउट द टेरिटरी ऑफ इंडिया में कहीं प भी जा सकता है तमिलनाडु का बंदा जो है कन्याकुमारी से कश्मीर आ
सकता है लद्दाख आ सकता है गुजरात का जो बंदा है वो अरुणाचल प्रदेश में आ सकता है जो टेरिटरी हमारे इंडिया में है किसी के साथ कोई डिस्क्रिमिनेशन नहीं किया जाएगा कोई किसी को कहीं से कहीं पर जाने से नहीं रोक सकता अब लास्ट लाइन जो थी वो क्या थी
इन अवर कॉन्स्टिट्यूशन असेंबली द 26 डे ऑफ नवंबर 1949 डू हेयर बाय अडॉप्ट एन एक्ट एंड गिव टू आवर सेल्व दिस कॉन्स्टिट्यूशन तो यह स्टेटमेंट जो है डिक्लेयर्ड स्टेटमेंट यही बता रही है कि हमने अपने कॉन्स्टिट्यूशन को कब अडॉप्ट किया था 26 डे ऑफ नवंबर 1949 को तो याद रखना जो हमारा
कांस्टीट्यूशन उस दिन अडॉप्ट हुआ गया था ठीक है उसमें हमें हमारे पास यह आर्टिकल 394 और कुछ आर्टिकल्स जो थे यह एनफोर्स किए गए थे 5 स से ये सब लिख आप यहां पर पढ़ ले और इसको हम लॉयर्स डे भी कहा जाता है अभी हमने पीछे पढ़ा था लॉ डे भी बोला
जाता है बट जो मेजर पोर्शन था हमारे कांस्टिट्यूशन का जो मेजर प्रोविजन ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन जो थे वो कब हुआ था फोर्स कब हुआ था 26 जनवरी 1950 में यह फोर्स हुआ था और जिसको हम क्या सेलिब्रेट करते हैं एज ए रिपब्लिक डे इसको सेलिब्रेट किया
जाता है तो हो आपको प्रिंबल का सब समझ आ गया होगा अगर कोई भी अभी भी आपके दिमाग में डाउट है तो वीडियो के कमेंट सेक्शन में जरूर बताइएगा और यह भी बताइएगा फीडबैक जरूर दीजिएगा कि आपको किस तरह से लेक्चर लग रहे हैं समझ आ रहे हैं या नहीं आ रहे
हैं अभी हम इसके ऊपर अ क्या बोलते हैं अ एमसीक्यू लेके भी आएंगे और कल कल जो नेक्स्ट लेक्चर है वो हम पढ़ेंगे क्या प्रीमल जो है वो पार्ट ऑफ कांस्टीट्यूशन है या नहीं है तो ये सारे इंपॉर्टेंट जजमेंट्स जो है ये यहां पे हम कल इसको
डिस्कस करेंगे क्योंकि आपको यह भी एग्जाम में आ सकता है फिर उसके बाद हम साइलेंट फीचर्स ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन पढ़ेंगे दैट इज वेरी इंपॉर्टेंट एज पर यूर सिलेबस ठीक है तो ये सारी चीजें हम बिल्कुल अ डिटेल में पढ़ेंगे ताकि आपको कोई प्रॉब्लम नहीं हो ठीक है तो वीडियो को लाइक जरूर
करिएगा शेयर भी करेगा और थैंक्स बटन है तो उसके ऊपर भी आप क्लिक करिएगा अपनी तरफ से शो योर लव ठीक सो थैंक्स फॉर जॉइनिंग अब मिलते हैं नेक्स्ट वीडियो में तब तक के लिए बाय टेक केयर और अपना ध्यान रखें और अपने घर वालों का भी ध्यान रखें
source