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You are at:Home » 10 Feb 2024 | The Hindu Newspaper Analysis for UPSC |Hindu newspaper Today #thehindu #USPCCSE #upsc
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10 Feb 2024 | The Hindu Newspaper Analysis for UPSC |Hindu newspaper Today #thehindu #USPCCSE #upsc

adminBy adminFebruary 14, 2024No Comments38 Mins Read
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गुड मॉर्निंग एवरीवन दोस्तों आज है फरवरी 10 2024 और हम लोग करेंगे द हिंदू न्यूज़ पेपर की एनालिसिस मेरा नाम है सतेंद्र चौधरी और आज हम लोग कौन-कौन से टॉपिक करेंगे आज क्योंकि सैटरडे का दिन है आज टेक्स्ट सेक्शन आता नहीं है पेपर में तो बहुत जार सारे आर्टिकल सैटरडे को आते भी

नहीं है वैसे भी लेकिन इस बार जो आए हैं वो थोड़े अच्छे हैं डिसेंट है जिसके बारे में हम लोग बात करेंगे जैसे प्रीमल है यहां से हम लोग कुछ पी वाई क्यूस भी पढ़ेंगे और प्रीबल न्यूज़ में है सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत ही जबरदस्त ऑब्जर्वेशन

की है प्रीमल के बारे में उसके बा बात करेंगे उसके अलावा भारत रत्ना जो है 2024 में पांच जो है लेजेंड्स को वो अनाउंस किया गया है तो भारत रत्ना के बारे में बात करेंगे उसके अलावा जो है साइंस वाले सेक्शन से हम लोग पढ़ने वाले हैं कि

जोडियाकल लाइट क्या होती है कैसे काम करती है और यह कहां से आती है तो बहुत इंपॉर्टेंट है यह भी स्पेशली फॉर प्रीलिम्स और यहां से हम लोग मेंस के लिए भी एक क्वेश्चन देखेंगे जो प्रीवियस ईयर क्वेश्चन जो यूपीएससी में आ चुका है इसी वाले सेक्शन से लगभग

उसके अलावा अमेरिकन डोमिनेशन के बारे में आज एक एडिटोरियल आया है जिसमें यह बताया गया है कि ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम कैसे वर्ल्ड ओवर जो हम लोग जिओ पॉलिटिक्स की बात करते हैं एजमनी की बात करते हैं अमेरिका का जो रसूक था उसका जो डोमिनेंस

था वो कम होता नजर आ रहा है उसके बारे में बात करेंगे हम लोग इस एडिटोरियल में लेकिन आगे बढ़ने से पहले छोटी सी अनाउंसमेंट है देखिए अगर आप हमारा फाउंडेशन कोर्स जवाइन करना चाहते हैं तो whatsapp2 साल का करंट अफेयर कम से कम हमें चाहिए होता है तो सैटरडे के दिन हम

लोग करंट अफेयर की क्लासेस रखते हैं जहां पे पूरे हफ्ते का करंट अफेयर हम लोग प्रीलिम्स और मेंस दोनों ही पर्सपेक्टिव से कवर करते हैं अगर आप ये कोर्स को जवाइन करना चाहते हो मेरी क्लासेस में आना चाहते हो तो यह क्यूआर कोड दिया हुआ है आप इसको

स्कैन करके जवाइन कर सकते हैं हालांकि अगर आप एससी 1000 अगर आप कोड को अप्लाई करते हो तो 000 का डिस्काउंट मेरी तरफ से आपको है लेकिन करंट अफेयर को लाइटली नहीं लेना है करंट अफेयर को आपने बहुत अच्छे से पढ़ना है उसके अलावा हमारा एएस प्रीलिम्स

प्रोग्राम भी चल रहा है जो प्रीलिम्स के लिए है 50 डेज का प्रोग्राम है आप इसको जवाइन करना चाहते हो तो यहां पे भी आपको इसी whatsapp2 में रख लिया था कि फ्यूचर में कभी रिक्वायरमेंट होगी तो हम इस टॉपिक को करेंगे और देखिए उसका बेनिफिट हुआ तो आज

हम लोग इस टॉपिक को करने वाले हैं इन जोडियाकल डस्ट मिस्ट्री पी आरएल अहमदाबाद स्टडी पॉइंट्स टू अ फैमिलियर सोर्स क्या है पूरा मतलब मैं बताता चलूं देखिए एक मिशन जो है हम लोगों ने लॉन्च किया था जिसका नाम है जूनो मिशन ये मतलब इंडिया ने नहीं किया था यूएस ने किया था

और यह मिशन जो है मार्स पे गया था ठीक है मार्स का मिशन था ये लेकिन जब हम लोग आगे बढ़ रहे थे मार्स पे ये जूनो स्पेसक्राफ्ट के थ्रू तो कुछ बड़ी ही इंटरेस्टिंग ऑब्जर्वेशन आई ये ऑब्जर्वेशन कहां से आई कैसे आई यह पूरा टॉपिक की बात करता है

लेकिन यह जोडियक लाइट क्या है पहले थोड़ा यह समझ लीजिए रात के अंधेरे में जब सब कुछ डार्क होता है तो हल्का सा आपको ग्लो नजर आता है आज पिक्चर में देख सकते हो रात का अंधेरा है यह हल्का सा ग्लो आपको यहां पर नजर आ रहा

होगा यह ग्लो को ही हम लोग बोलते हैं जोडियाकल लाइट लेकिन अभी तक किसी को पता नहीं था एक्जेक्टली कि यह कहां से आ रही है यह है क्या पहली बार इस जूनो स्पेसक्राफ्ट के थ्रू हमें पता चला है कि कहां से आ रही है बेसिकली एक जो पाथ होता है एक्लिप्स इसको

बोलते हैं जो सन है हमारा वह जब मूव करता है आपको पता है कि हमारा जो सन है हमारा जो पूरा सोलर सिस्टम है जो हमारी मिल्की वे गैलेक्सी है इसके सेंटर के अराउंड घूमता रहता है राइट और यह 250 मिलियन इयर्स में एक चक्कर कंप्लीट करता है जहां

पर हमारा सोलर सिस्टम है जैसे मान लो हमारा सोलर सिस्टम यहां पर है तो इसे ओरियन ब्रांच बोलते हैं और 250 मिलियन यर्स में कवर करता है तो जब सन ये स्स के अंदर मूव करता है तो उस समय बहुत सारे जो डस्ट पार्टिकल्स होते हैं वो स्कैटर्ड

होते हैं और वह हमारे एटमॉस्फियर के अंदर एंट्री करते हैं जिसकी वजह से हमें यह लाइट दिखाई देती है तो यह सनलाइट स्कैटर्ड जो होती है इस डस्ट की वजह से हमारे जो प्लेनेट है जैसे अर्थ है मार्स है जुपिटर एंड ल दैट इनके बीच में काफी डस्ट नजर आती

है वो डस्ट क्यों आती है कहां से आती है वही पूरा सवाल है दोबारा हल्का सा आईडिया आपको दे देता हूं जो इंटरप्लेनेटरी डस्ट होती है उसे हम लोग जोडियाकल डस्ट बोलते हैं सनलाइट जब आती है तो इस डस्ट के साथ रिफ्लेक्ट होती है स्कैटर्ड होती है और

उसकी वजह से हमें लाइट नजर आती है जैसे हमें मून क्यों नजर आता है मून की खुद की कोई लाइट होती नहीं है फिर भी हमें क्यों दिखाई देता है क्योंकि मून के ऊपर जब सनलाइट पड़ती है तो रिफ्लेक्ट होके अर्थ की तरफ आती है उसी तरह से जो डस्ट

पार्टिकल्स होते हैं प्लेनेट के बीच में वहां से भी कुछ स्कैटर्ड होक लाइट अर्थ की तरफ आती है और हमें ये थोड़ा सा इस तरह से डस्टी डस्टी दिखाई देता है इसे हम लोग जोडियाकल डस्ट कहते हैं और सवाल है कि आता कहां से है डस्ट यही बड़ा सवाल है और यह

पता चला हमें जूनो मिशन से जूनो मिशन को जब लच किया गया था नासा के द्वारा 2014 में तो उसने बहुत लंबी यात्रा की थी भाई और उस ट्रैवल के दौरान यह पाया गया किय जो जब व जूनो मिशन जा रहा था तो बहुत सारे

डस्ट में से निकल के जा रहा था अगर आपने मूवी देखी इंटर स्टेलर तो उसके अंदर दिखाया गया कि जो उनका स्पेसक्राफ्ट होता है उसके बहुत डस्ट पार्टिकल्स होते हैं वहां पे और जो उसको हिट करते हैं तो थ्रू आउट द जर्नी फ्रॉम अर्थ टू मार्स थ्रू आउट द जर्नी फ्रॉम अर्थ टू

मार्स बहुत सारे डस्ट पार्टिकल्स आए लेकिन इंटरेस्टिंग अराउंड 1.5 एस्ट्रोनॉमिकली यूनिट यहां पे मैक्सिमम डस्ट नजर आया ये एयू क्या होता है ये होता है एस्ट्रोनॉमिकली यूनिट डिस्टेंस बिटवीन अर्थ एंड सन इसे वन एयू बोलते हैं अर्थ और सन के बीच में डिस्टेंस कितना है अराउंड

150 मिलियन किलोमीटर यह फिक्स नहीं है यह एवरेज है हालांकि 152 होता है जब अर्थ और सन के बीच में डिस्टेंस मैक्सिमम होता है 147 होता है जब डिस्टेंस मिनिमम होता है एवरेज हम लोग 150 कंसीडर करते हैं 15 करोड़ किलोमीटर का डिस्टेंस है तो जब 1.5

एस्ट्रोनॉमिकली यानी कि 2 मतलब मान के चलिए करोड़ किलोमीटर के आसपास जाके सबसे ज्यादा डस्ट आया और यह कहां पर आया मार्स के जो दो मून है गमोसो बोस इनके नजदीक जाके आया यानी कि जब यह स्पेसक्राफ्ट जा रहा था जैसे मान लो यह स्पेसक्राफ्ट है यह एक

आपका स्पेसक्राफ्ट है और यह मार्स है और यह मार्स के खूब सारे मस है जिसमें से एक जो है डीम है दूसरा फोबोस है तो जब ये स्पेसक्राफ्ट जा रहा था और इनके नजदीक पहुंचा तो सबसे ज्यादा डस्ट पार्टिकल ने इसके ऊपर हिट किया इसका रीजन क्या है दमोज और फोबोस का

जो ग्रेविटेशनल फील्ड है वो बहुत कम है जिसकी वजह से यहां से बहुत सारे जो छोटे-छोटे डस्ट पार्टिकल्स हैं वह एस्केप कर जाते हैं और यहां पर घूमते रहते हैं और जब हमारा जूनो मिशन इसके पास में पहुंचा तो वो डस्ट पार्टिकल जो है वो नजर आए ठीक

है और इसे हम लोग जोडि एकल लाइट बोलते हैं जो हमें कभी-कभी रात के अंधेरे में भी नजर आती है हल्का सा ग्लो हो तो यह है पूरा आर्टिकल का थोड़ा थोड़ा जो आपको आईडिया होना चाहिए ठीक है जोडियाकल लाइट क्या होती है आपको यह पता होना चाहिए ठीक है

कहां से आती है क्यों नजर आती है थोड़ा आपको ये आईडिया होना चाहिए तो जूनो मिशन के लिए ऑलरेडी एग्जाम में क्वेश्चन पूछा जा चुका है आप यहां पर देख लीजिए यूपीएससी का क्वेश्चन है ये आई थिंक यह 2016 का या 17 का क्वेश्चन है हाउ डज द

जूनो मिशन ऑफ नासा हेल्प टू अंडरस्टैंड द ओरिजिन एंड एवोल्यूशन ऑफ अर्थ 150 वर्ड्स में आपको इसको कवर करना था तो जो आर्टिकल हम लोग पढ़ते हैं ना यहां से डायरेक्ट क्वेश्चंस आते हैं इसीलिए करंट अफेयर बहुत जरूरी होता है ये आपको किसी मैगजीन में शायद देखने को नहीं मिलेगा अगर आप पढ़

लीजिए लेकिन ये करंट अफेयर करोगे तभी पता चलता है और आपको याद होगा कल हम लोगों ने एक आर्टिकल किया था जिसमें हम लोगों ने थोड़ा सा आपको स्टेम सेल के बारे में बताया था सिकल सेल्स के बारे में बताया था कुछ थेरेपी के बारे में बताया था जर्मलाइन

एडिटिंग जीन एडिटिंग कैस नाइन यह सब कल हम लोगों ने बात किया था एक आर्टिकल में प्रिलिम्स में तो व से क्वेश्चन आया ही हुआ है लेकिन मेंस में भी यहां से क्वेश्चन आता है जो बायोटेक्नोलॉजी की हम लोग बात करते हैं तो स्टेम सेल थेरेपी इज

गेनिंग पॉपुलर इन इंडिया टू ट्रीट अ वाइड वरायटी ऑफ़ द मेडिकल कंडीशन सच एज लकीम थैलासीमिया हम लोगों ने थैलासीमिया के बारे में बात किया था ठीक है डैमेज कोर्निया एंड द सीवियर बर्न्स डिस्क्राइब ब्रीफ व्हाट स्टेम सेल थेरेपी इज एंड व्हाट एडवांटेज इट हैज ओवर द अदर

ट्रीटमेंट्स स्टेम सेल थेरेपी के बारे में हम लोग बात कर चुके हैं प्रीवियसली करंट अफेयर में उसके अलावा सिकल सेल के बारे में हम लोग डिसीज के बारे में बात कर चुके हैं कैस नाइ जीन एडिटिंग य सब टॉपिक क्लास में कवर हो चुके हैं तो यही क्वेश्चन आपको

एग्जाम में एज इट इज देखने को मिलेंगे फ्यूचर में जब जैसे आप और करंट अफेयर पढ़ते रहोगे तो आपके नॉलेज के अंदर और ज्यादा यहां पे बढ़ोतरी होती रहेगी चलिए जी तो नेक्स्ट आर्टिकल आता है भारत रत्ना फॉर द स्वामीनाथन राव एंड चरण सिंह तो

फाइनली जो है पांच लोगों को इस साल जो है वह भारत रत्ना अनाउंस किया गया है 2023 में किसी को भी भारत रत्न नहीं दिया गया था तो आई थिंक 2024 के लिए ही सेव किया गया था क्योंकि भ इलेक्शन ईयर भी है कहीं

ना कहीं तो वो भी एक एंगल हो सकता है शायद तो जो है आप देखिए यहां पे इनको राव जी को आडवाणी जी को तभी अनाउंस किया गया है चरण सिंह जी को और स्वामीनाथन जी को ठीक है तो पांच लोगों को यहां पे अनाउंस

किया गया है इस साल का भारत रत्ना अलग-अलग लोगों ने सबने अलग-अलग कंट्रीब्यूशन किया स्वामीनाथन जी को तो आप बहुत अच्छे से जानते ही होंगे अने एग्जाम के पर्सपेक्टिव से जब एग्रीकल्चर हम लोग पढ़ते हैं तो ग्रीन रेवोल्यूशन एक बहुत इंपोर्टेंट फैक्टर है हमारा यहां पेग ग्री में आप

इसको पढ़ते हैं इकॉनमी में भी थोड़ा इसको आप पढ़ते हैं पॉलिटी में भी इसको थोड़ा पढ़ते हैं तो एग्रीकल्चर साइंटिस्ट तो थे ही और यह डिजर्व करते थे भाई डेफिनेटली और 2023 लास्ट ईयर ही इनकी डेथ हुई है हालांकि शुरुआत में जब हाथ रत्ना दिया

जाने लगा था तो वह पोथ मसली नहीं दिया जाता था मतलब मरणो प्रांत जिसको कहते हैं लेकिन बाद में इसके अंदर चेंजेज किए गए तो अभी तो मोस्टली लोगों को मनने के बाद ही दिया जाता है हालांकि लास्ट टाइम जो सचिन तेंदुलकर को दिया गया था वा द यंगेस्ट वन

नरसिंहा राव जी की डेथ हो चुकी है 2004 में और चौधरी चरण सिंह 1987 में ही जो है स्वर्ग सिधार चुके हैं तो तीनों ही अपने-अपने फील्ड में बड़े जबरदस्त माने जाते थे हालांकि अगर आप देखोगे इन पांचों फिगर्स को पांचों फिगर में

से जो है राव जी हो गए कपूरी जी हो गए अडवाणी जी हो गए और चरण सिंह जी हो गए चारों पॉलिटिकल फिगर है चारों पॉलिटिकल फिगर है तो पॉलिटिकल पर्सनेलिटीज को भारत रना दिया जाता है हालांकि कई सारे लोग जो है इसके ऊपर डाउट भी करते हैं कि पॉलिटिकल

पर्सनेलिटीज को नहीं देना चाहिए जो नॉन पॉलिटिकल पर्सन उनको दिया जाना चाहिए लेकिन यहां पे अलग-अलग आर्गुमेंट है क्योंकि पॉलिटिकल होने का मतलब सिर्फ ये नहीं है कि आप डर्टी पॉलिटिक्स करते हो हालांकि कुछ लोग कर सकते हैं बट जो सोशल वर्कर्स होते हैं वो भी पॉलिटिकल और

पॉलिटिक्स अपने आप में एक सोशल वर्क भी माना जाता है है ना लोगों की सेवा करने का तरीका माना जाता है तो पॉलिटिकल फिगर्स को भारत तना देना कोई गलत तो नहीं है लेकिन कम से कम एक एक अच्छा ग्राउंड होना चाहिए उनको देने के लिए है ना उनकी छवि पर दाग

नहीं होने चाहिए बहुत ज्यादा कंट्रोवर्शियल नहीं होना चाहिए समाज की भलाई के लिए काम किया हो वो सारी चीजें खैर तो इनको दिया गया है और इनके बारे में थोड़ा थोड़ा थोड़ा पर्सनालिटी वाइज आपको डेफिनेटली पता होना चाहिए जब इंडिया में लिबरलाइजेशन रिफॉर्म हुए थे तो उस समय

नरसिंहा राव जी 1991 से लेकर 1996 तक जो है हमारे प्राइम मिनिस्टर रहे और इनके जो फाइनेंस मिनिस्टर थे वह मनमोहन सिंह जी थे तो उस समय जब आईएमएफ से हम लोग मदद मांगने गए थे बिकॉज ऑफ द बैलेंस ऑफ पेमेंट क्राइसिस तो उस समय ही वाज द प्राइम

मिनिस्टर और ये नॉन कांग्रेस प्राइम मिनिस्टर थे और वो सारी चीजें हुई तो इनको जो है वो हम लोग दे रहे हैं क्या भारत रत्ना ठीक है चौधरी चरण सिंह एक किसान नेता रहे शुरुआत में बाद में जो है हमारे प्राइम मिनिस्टर भी बने 1979 और 1980 के

बीच में लोकदल के ये नेता रहे और वेस्टन उत्तर प्रदेश में खासकर जो है फार्मर्स के लिए बहुत काम किया और अभी इनके जो ग्रैंड सन है उन्होंने जॉइन कर लिया है एनडीओ को फॉर 2024 इलेक्शंस हालांकि जब फार्मर प्रोटेस्ट हो रहे थे तो ही वाज अगेंस्ट द

गवर्नमेंट खैर वो चीज चलती रहती हैं बाकी फादर ऑफ द ग्रीन रेवोल्यूशन मिस्टर स्वामीनाथन जी तो ये तो थोड़ा सा यह आपको आईडिया होना चाहिए उसके अलावा अब देख लेते हैं के भारत रतना के बारे में ठीक है भारत रतना की बात करें या पदम विभूषण

की बात करें तो 1954 में जो है इसकी शुरुआत हुई पदम विभूषण को तीन कैटेगरी में शुरुआत में जो है डाला गया था पहला वर्ग दूसरा वर्ग और तीसरा वर्ग हालांकि बाद में इसका नाम चेंज कर दिया गया पदम भूषण पदम भूषण और पदमश्री 1955 में लेकिन भारत रत्ना बिल्कुल अलग है

इन कैटेगरी से बिल्कुल अलग है भारत रत्ना भारत रत्ना इंडिया का हाईएस्ट सिविलियन अवार्ड है आपकी एक्सेप्शनल सर्विसेस के लिए दिया जाता है आप किसी भी फील्ड से हो डजन मैटर अगर आप बहुत एक्सेप्शनल हो समाज की सेवा की है अलग-अलग तरीके से कंट्रीब्यूट किया है सोसाइटी में

तो आपको भारत रतना मिल सकता है किसको भारत रतना मिलेगा कौन डिसाइड करेगा यह रिकमेंडेशन दी जा है प्राइम प्राइम मिनिस्टर के द्वारा हमारे प्रेसिडेंट को इसके लिए किसी फॉर्मल रिकमेंडेशन की रिक्वायरमेंट नहीं होती है ठीक है उसके अलावा यह रूल है एक तरह से कि कम से कम एक

साल में तीन लोगों से को से ज्यादा भारत रत्ना नहीं दिया जाएगा हालांकि एक बार पास्ट में जो है इसको लेट किया गया है और 2024 में भी आप कह सकते हो कि मैक्सिमम पांच लोगों को भारत ना दिया जाएगा जो कि इस रूल का एक तरह से वायलेशन है कहीं ना

कहीं तो एक्सेप्शन केसेस में तीन से ज्यादा दिया जा सकता है क्योंकि 2023 में दिया नहीं था तो शायद सरकार ने जो है इस बार उसको एमपन दे दिया है अब तक इन पांच लोगों को मिला के 53 लोगों को भारत रत्ना व यहां पर दिया गया है अगर किसी को भारत

रत्ना मिलता है तो व अपने नाम के आगे और पीछे जैसे अपना सरनेम लगाते हो आप नहीं लगा पाओगे प्रीफिक्स और सफिक्स के रूप में हां आप जब किसी को लेटर वगैरह लिखते हो तो आप क्या लिख सकते हो अवार्डेड भारत रत्न बाय द प्रेसिडेंट और रिसिपिएंट ऑफ द भारत

रत्न अवार्ड आप ये लिख सकते हो ये अलाउड है इसमें कोई दिक्कत नहीं है ठीक है शुरुआत में आपको मैंने बताया कि पोस्ट मसली अवार्ड नहीं दिया जाता था लेकिन यह 196 66 के अंदर चेंज हुआ उसके बाद य मरणोपरांत भी दिया जा सकता है 2014 में

सचिन तेंदुलकर को दिया गया ही वाज द फर्स्ट स्पोर्ट्स पर्सन एंड द यंगेस्ट भारत रत्ना अवॉर्डी ओके उससे पहले 1999 के अंदर भी जो है चार लोगों को दिया गया था तो अभी 2024 में जो है पांच लोगों को दिया जा रहा है तो यह है थोड़ा सा उसके अलावा

अगर आप यहां पर देखें भारत रत्ना की जो शेप वगैरा एंड ऑल दैट तो ओरिजिनल अवार्ड वाज अ सर्कुलर गोल्ड मेडल हालांकि बाद में हम लोगों ने इसको चेंज कर दिया गया अभी ये आपको पीपल के जो पत्ता होता है है ना उसके ऊपर जो है थोड़ा नजर आता है यहां लिखा

होता है भारत रत्न सत्यमेव जयते और यह देवनागरी स्क्रिप्ट में लिखा होता है सत्यम जते और इसकी जो पीपल लीफ का जैसे मैंने आपको बताया वो होता है प्लैटिनम का ये बना होता है इसकी अगर आपको थोड़ा देखना है कितना लॉन्ग होता है 59 एमएम लॉन्ग

होता है 48 एमएम वाइड होता है 3.2 एमएम थिक होता है है ठीक है इसके दूसरी साइड में अगर आप देखेंगे तो वहां पे जो है सन का सिंबल जो है दिखाई देता है और यहां पे जो है स्तंभ दिखाई देता है ठीक है जो तीन

शेरों का हमारा है एंबलम जो है हमारा नेशनल एंबलम उसके अलावा एक रिबन होता है 2 इंच का वाइट कलर का क्योंकि आपको गले में डालना होता है तो उसकी हेल्प से जो है इसको डाला जाता है कहां पे बनाया जाता है कलकाता केंद्र जो अलीपोर मिंट है जहां पे

जो आरबीआई सिक्के वगैरह भी बनाती है वहीं पे इसको बनाया जाता है ठीक है जी चलिए तो नेक्स्ट आर्टिकल पढ़ते हैं प्रिंबल के बारे में और सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने बहुत ही जबरदस्त ऑब्जर्वेशन की है और बेंच का यह कहना कि देखिए भाई अच्छा यह सवाल कहां से शुरुआत हुई

शुरुआत हुई के जो स्वामी जी है ठीक है स्वामी जी ने कोर्ट के अंदर एक पील फाइल किया और उन्होंने यह कहा कि साहब यह जो सोशलिस्ट वर्ड है और जो सेकुलर वर्ड है यह दोनों वर्ड प्रिंबल के अंदर बाद में ऐड किए गए हैं और जब यह ऐड किए गए थे तो

इंडिया में इमरजेंसी चल रही थी ठीक है इमरजेंसी के दौरान इनको ऐड किया गया और जब यह इंट्रोड्यूस किए गए तो हमारे पार्लियामेंट पार्लियामेंट के अंदर कोई डिबेट और डिस्कशन भी नहीं हुआ क्योंकि उस समय को पोजिशन थी नहीं इमरजेंसी चल रही थी तो इतने बड़े डॉक्यूमेंट के अंदर

अमेंडमेंट करना पहली बात तो वो बड़ी बात बात है दूसरी बड़ी बात व इमरजेंसी के दौरान किया गया तीसरी बड़ी बात पार्लियामेंट में डिस्कशन नहीं हुआ डिबेट नहीं हुआ तो यह एक वायलेशन है ठीक ऐसा उन्होंने डिमांड किया है सुब्रमण्यम स्वामी जी ने उसके साथ-साथ जो यहां पर इंटरेस्टिंग

चीज है वो क्या है इंटरेस्टिंग चीज यह है कि आपको पता है कि हम लोगों ने प्रिंबल 26 नवंबर 1949 को अडॉप्ट कर लिया था और यह डेट उसके अंदर मेंशन की गई है कि हम भारत के लोग प्रिंबल को एक्सेप्ट करते हैं ऑन नवंबर 26 1949 डेट फिक्स कर दी

गई अब जब 1976 में अमेंडमेंट करके यह दो वर्ड को जोड़ा गया था तो क्या उसके अंदर डेट चेंज की गई थी यह बहुत बड़ा सवाल है डेट तो चेंज नहीं की गई ना इसका मतलब यह हुआ कि आप 26 नवंबर 1949 के प्र ल को रिजेक्ट कर रहे हो अगर

आपने दो वर्ड ऐड करने हैं तो आपको डेट भी चेंज करनी पड़ेगी क्योंकि इसके अंदर एगजैक्टली डेट मेंशन है इसका मतलब यह हुआ कि हम भारत के लोग जो प्रीमल है जो 26 नवंबर को अडॉप्ट किया था वह अलग था यह जो सोशलिस्ट सेकुलर वर्ड ऐड किए गए

यह प्रीमल अलग है हां अगर आप इसके अंदर डेट ऐड करते नहीं तो बात अलग थी लेकिन डेट आपने ऐड नहीं की सिर्फ वर्ड आपने चेंज कर दिए तो ये प्रिंबल की अगर बात करें यहां पर इन्होने जो डेट मेंशन की गई है इस डेट के हिसाब से दिस इज द

प्रिंबल जो नए वर्ड है वो इसके अंदर नहीं है ओरिजिनल प्रिंबल के अंदर तो अगर आप स्कूल में या कहीं पे भी इस प्रिंबल की बात करते हो और यही सेम डेट वहां पर शो करते हो तो इसके अंदर सोशलिस्ट और इसके अंदर सेकुलर वर्ड होने ही नहीं

चाहिए क्योंकि इस डेट को तो हम लोगों ने अडॉप्ट किया ही नहीं था ये हां नया डेट इंक्लूड कर दो कोई दिक्कत नहीं है जितनी बार भी आपको प्रीमल को चेंज करना है आपको वो डेट वहां पे ऐड करनी पड़ेगी जब आप उस वर्ड को ऐड करोगे ये एक अच्छी ऑब्जर्वेशन

और बड़ी यूनिक सी ऑब्जर्वेशन यहां पे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा की गई है और यह सरकार से सवाल अभी पूछा गया कि भाई साहब बताइए थोड़ा इसके बारे में आपका क्या विचार है उसके अलावा जो 42 अमेंडमेंट जब किया गया था इमरजेंसी के दौरान में इंदिरा

गांधी जी ने जब इमरजेंसी लगाई थी और यूनिटी ऑफ द नेशन इसको भी चेंज किया गया था यूनिटी एंड द इंटीग्रिटी ऑफ द नेशन इस वर्ड को ऐड किया गया था दिस वाज द ओनली अमेंडमेंट 42 अमेंडमेंट जब प्रिंबल को चेंज किया गया था इसके बाद में यहां पर

कुछ भी ऐड नहीं किया गया है तो ओरिजिनल अगर आप देखें प्रिंबल को वहां पर सोवन डेमोक्रेटिक और सोशल रिपब्लिक ये वर्ड दिए हुए हैं इसके बीच में हम लोगों ने बाद में सोशलिस्ट और सेकुलर वर्ड को ऐड कर दिया गया बिटवीन सोवन एंड डेमोक्रेटिक तो अब

क्या हो गया है सोवन सोशलिस्ट सेकुलर डेमोक्रेटिक रिपब्लिक राइट तो य प्रीमल आप य पर देख सकते हो प्रीमल की एस अ पार्ट ऑफ कांस्टिट्यूशन यह अमेरिकन कांस्टिट्यूशन से इसकी शुरुआत हुई बाद में कई सारे कंट्रीज ने इसको अडॉप्ट किया जैसे साउथ अफ्रीका वगैरह ने इसी पैटर्न को किया गया

और एक बहुत ही बड़े पॉलिटिकल एक्सपर्ट है एन ए पलखिला जी इनका कहना है कि प्रेमल होता क्या है इट इज नथिंग बट आइडेंटिटी कार्ड ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन आइडेंटिटी कार्ड जो है आपकी ट पर्सनालिटी नहीं बता सकता लेकिन कम से कम ऊपरी तौर पर

यह बता सकता है कि आप क्या हो तो प्रिंबल के अंदर जो आइडियाज हैं वो एक समरी के रूप में हल्का सा आपको बताया हुआ है कि हमारे जो कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स है उनकी फिलोसोफी क्या थी व उनका क्या विचार था कैसी सोसाइटी वो चाहते थे इंडिया में वो

यह प्रिंबल आपको बताता है डिटेलिंग नहीं है लेकिन कम से कम ऊपरी तौर पर देखने से पता चलता है चार बहुत मेजर एलिमेंट है हमारे प्रिंबल के इट्स द सोर्स ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन अथॉरिटी यस ऑफकोर्स हमारी जो कांस्टीट्यूशनल अथॉरिटीज है चाहे जुडिशरी हो चाहे आपकी लोकसभा राज्यसभा कोई

भी चीजें हो और दूसरे इंस्टिट्यूशन बनाए हुए हैं अल्टीमेट अथॉरिटी प्रिंबल से वह लोग ग्रैब करते हैं हमारे इंडिया का जो नेचर है वह कैसा होगा सोशलिस्ट होगी सोसाइटी सेकुलर होगी डेमोक्रेटिक होगी रिपब्लिक होगी सोरेन होगी यह सब कौन बताता है प्रिंबल बताता है कैसा होगा इंडिया क्या ऑब्जेक्टिव है प्रिंबल के

पीछे हमारे कांस्टिट्यूशन का क्या ऑब्जेक्टिव है क्या गोल है जस्टिस देना लिबर्टी देना इक्वलिटी देना फ्रेटरनिटी वो सब ऑब्जेक्टिव है कहां से पता चला प्रीमल से और डेट यह चार बहुत इंपोर्टेंट एलिमेंट है हमारे प्रिंबल के अब इस डेट के ऊपर ही भैया यहां पे ऑब्जर्वेशन की गई है क्योंकि

इस डेट के हिसाब से सेकुलर और सोशलिस्ट वर्ड प्रीमल का पार्ट नहीं अगर यह ऐड करने ही है तो आप डेट को चेंज कर सकते हो अब ये इंटरेस्टिंग रहेगा कि गवर्नमेंट इसके ऊपर क्या बताती है व्यू पॉइंट क्या है सरकार का तो जैसे अगर हम लोग फ्रेजस की बात करें

तो वी द पीपल ऑफ इंडिया एक बहुत इंपोर्टेंट फ्रेज स्टार्टिंग यहीं से शुरू होती है तो इसमें इन्होंने यह बताया कि भैया देखिए वी द पीपल ऑफ इंडिया हम अल्टीमेट अथॉरिटी हैं ठीक है जी हमसे ऊपर कोई नहीं है हमें कोई कंट्रोल नहीं कर सकता हम खुद इस डॉक्यूमेंट के अंदर जो

लिखी हुई बातें हैं उनको अडॉप्ट करते हैं और हम लोग यह प्रॉमिस करते हैं यह शपथ लेते हैं कि इसके अंदर जो वैल्यूज हम लोगों ने लिखी हैं हम उसको कोशिश करेंगे पूरी तरह से कि उसको इंप्लीमेंट करें सोसाइटी में अपनी हम ऐसा इंडिया चाहते हैं

जहां पर लिबर्टी हो और इंडिया हम ऐसा इंडिया चाहते हैं जो सोवन हो जिसके ऊपर किसी बाहर के अथॉरिटी का कंट्रोल ना हो अपने देश के हिसाब से जो डिसीजन हम लोग खुद ले सकें ऐसा हम लोग अपने देश चाहते हैं हम लोग एक सोशलिस्ट कंट्री चाहते हैं

हालांकि इंडिया एक मिक्स्ड इकॉनमी है नो डाउट जहां पे पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर दोनों ही काम करते हैं लेकिन अल्टीमेट गोल हम हमारा क्या है अल्टीमेट गोल यह है कि डेमोक्रेटिक तरीके से इंडिया एक सोशलिस्ट वैल्यूज के साथ आगे बढ़े गरीबों को भी अपलिफ्ट किया जाए यह एक विचारधारा हम लोग

लेकर आगे चलेंगे सेकुलर हम एक समाज चाहते हैं ठीक है जिसमें सभी धर्मों की सभी विचारों की उनकी रिस्पेक्ट की जाए उनके अधिकारों को प्रोटेक्ट किया जाए तो यह हालांकि अगर आप वर्ड नहीं भी ऐड करोगे तो भी कोई दिक्कत नहीं है सेकुलर इंडिया एज अ

कंट्री व्हिच इज सेकुलर इट वाज ऑलवेज द कांसेप्ट पाकिस्तान जब बनाया गया था और रिलीजियस बेसिस पे बनाया गया था लेकिन इंडिया के जो फ्रीडम फाइटर्स थे कॉन्स्टिट्यूशन मेकर्स थे उन्होंने उस आईडिया को पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया था उन्होंने कहा था कि इंडिया सभी रिलीजस के

लिए है बराबर है हम पाकिस्तान की तरह किसी एक रिलीजन को अपना स्टेट रिलीजन नहीं मानेंगे तो इसी बात से पता चलता है कि इंडिया वाज अ सेकुलर कंट्री अब ये वर्ड ऐड करने की कभी जरूरत महसूस ही नहीं हुई क्योंकि बाय वैल्यूज इंटरनली वीी आर

सेकुलर अने वर्ड ऐड कर दिया तो इवन इसके ऊपर सवाल खड़ा हो गया वर्ड ऐड नहीं करते तो कोई दिक्कत नहीं थी यह बेसिक स्ट्रक्चर का पार्ट भी है हमारा हमारे और हम एक डेमोक्रेटिक कंट्री है हम भैया यहां कोई राजे रजवाड़े नहीं है इंडिया में

डेमोक्रेसी है लोगों को यहां पर उनको वोट देने का अधिकार है रिपब्लिक है हमारे देश का जो हेड है वह कोई किसी फैमिली से नहीं आता है ठीक है वह जनता के द्वारा चुना जाता है प्रेसिडेंट ठीक है जी वह एक जनता के द्वारा चुना जाता है स्टेट ऑफ द हेड

उसे रिपब्लिक कहते हैं ब्रिटेन रिपब्लिक नहीं है क्योंकि वहां पर जो स्टेट ऑफ द हेड है जो क्वीन है या जो किंग है व द्वारा नहीं चुना जाता है हेरेडिटरी होता है इंडिया में ऐसा नहीं है तो इंडिया इज अ रिपब्लिक हमारा इंडियन कांस्टिट्यूशन का ऑब्जेक्टिव क्या आपको बता ही दिया जस्टिस

कई तरह का जस्टिस हम लोग दे सकते हैं कैसे देते हैं जस्टिस हम लोग हम फंडामेंटल राइट्स के थ्रू जस्टिस देते हैं डीपीएसपी के थ्रू जस्टिस देते हैं इकोनॉमिकल जस्टिस सोशल जस्टिस पॉलिटिकल जस्टिस यह सब जस्टिस की हम लोग बात करते हैं सोसाइटी के अंदर किसी तरह का डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना

चाहिए ऑन द बेसिस ऑफ कास्ट क्रीड जेंडर रिलीजन एटस इक्वलिटी ऑफ अपॉर्चुनिटी सबको मिले सबको अपॉर्चुनिटी मिले अगर आपके अंदर टैलेंट है उसको शो करने का आपको मौका मिले किसी को खास प्रिविलेज नहीं दिए जाएंगे सबको बराबर ट्रीट किया जाएगा लिबर्टी आजादी आपकी मर्जी है आप जैसे जीना

चाहते हैं जिए हां दूसरों को नुकसान मत पहुंचाए ठीक है वो आपका ड्यूटी है आपकी रिस्पांसिबिलिटी है लेकिन खुद अपनी लाइफ को जैसे लीड करना चाहते तो करिए आप कोई दिक्कत नहीं है जिसको वोट देना चाहते हैं उसको वोट दीजिए जो धर्म आप फॉलो करना

चाहते हो फॉलो करिए नहीं करना चाहते तो मत फॉलो करिए आपकी मर्जी है राट फ्रेटरनिटी की बात करता है इंडिया एक बहुत डावर्स कंट्री है यहां पर यूनिटी के लिए हमें जो है भाईचारा चाहिए होता है इमोशनल अटैचमेंट चाहिए अपनी कंट्री से तभी तो सेवा करोगे ना नहीं तो सेवा नहीं कर

पाओगे तो यह है इशू प्रिंबल हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का पार्ट है कि नहीं है इसके बारे में बहुत सवाल खड़े हुए शुरुआत में कहा गया के प्रीमल जो है हमारे कॉन्स्टिट्यूशन का पार्ट नहीं है और जो बैरो बारी केस के अंदर यह कहा गया कि प्रीमल के अंदर जो चीजें लिखी हुई है ना

आप उसे एनफोर्स नहीं करवा सकते जैसे मान लो किसी स्टेट के अंदर अगर कोई रिजर्वेशन पॉलिसी है और उस रिजर्वेशन पॉलिसी में यह कहा गया कि भैया हम लोग एससी को एसटी को या वीमेन को या किसी खास ग्रुप को कुछ खास प्रिविलेज देंगे तो आप कोर्ट में नहीं जा सकते आप यह

नहीं कह सकते साब देखिए प्रिंबल में तो इक्वलिटी लिखा हुआ है यहां तो इक्वलिटी है ही नहीं तो कोर्ट का यह कहना था बरबरी केस में के ठीक प्रिंबल से हमें इंस्पिरेशन मिलता है लेकिन प्रिंबल के अंदर लिखी हुई सभी की सभी बातें आप इंप्लीमेंट नहीं कर

सकते क्योंकि प्रिंबल में जो बातें लिखी हुई है बहुत ही ज्यादा एक यूटोपिया स्टेट की लिखी हुई है राम राज्य टाइप की बातें लिखी हुई है बहुत आइडियल बातें लिखी हुई है अभी इंडियन सोसाइटी उस पोजीशन में नहीं है कि वैसी सोसाइटी हम लोग बने और यह सब

एनफोर्स कर सके कोशिश जारी है लेकिन अभी नहीं है तो इसीलिए प्रिंबल के बारे में सवाल ये किया गया कि ये कांस्टिट्यूशन का इंटीग्रल पार्ट नहीं है बट केसनंद द भारतीय केस में कहा गया कि नहीं भैया प्रिंबल उतना ही इंटीग्रल पार्ट है जितना फंडामेंटल राइट है ठीक है इंटीग्रल पार्ट

ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन जैसे फंडामेंटल राइट या दूसरे प्रोविजंस को गवर्नमेंट अमेंड कर सकती है सरकार वैसे ही प्रिंबल को भी कर सकती है लेकिन उसका जो बेसिक स्ट्रक्चर है उसके साथ छेड़खानी ना करें यह नॉन जस्टिफिएबल है लेकिन फिर भी कई बार कोर्ट जब वर्डिक्ट सुनाता है तो

प्रिंबल से कुछ इंस्पिरेशन ले सकता है आर्टिकल 368 के अंडर में यस प्रीमल को अमेंड किया जा सकता है जैसे दूसरे लॉस या दूसरे प्रोविजन को अमेंडमेंट किया जाता है लेकिन बेसिक स्ट्रक्चर के साथ आप छेड़खानी नहीं करोगे ठीक है तो कुछ चीजें जैसे यहां

पर जो ऐड की गई सोशलिस्ट सेकुलर और यूनिटी के साथ-साथ इंटीग्रिटी वर्ड हम लोगों ने नया वर्ड यहां पर ऐड किया थोड़ा को पता होना चाहिए प्रीमल के बारे में यूपीएससी में कई बार क्वेश्चन पूछे जा चुके हैं बहुत बार सवाल पूछे जा चुके हैं चाहे

प्रीलिम्स हो चाहे मेंस हो अब यहां प देखिए जरा प्रीमल ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन ऑफ इंडिया इज अ पार्ट ऑफ द कांस्टिट्यूशन बट हैज नो लीगल इफेक्ट नॉट अ पार्ट ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन बट हैज नो लीगल इफेक्ट आदर अ पार्ट ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन एंड हैज अ सेम लीगल इफेक्ट

एज एनी अदर पार्ट अ पार्ट ऑफ द कॉन्स्टिट्यूशन बट हैज नो लीगल इफेक्ट इंडिपेंडेंटली ऑफ अदर पार्ट्स कौन सा क्वेश्चन इसमें से सही है ऑप्शन सही है ए बी सी और डी नीचे कमेंट में आप बताए अच्छा क्वेश्चन है आसान क्वेश्चन है बहुत ज्यादा डिफिकल्ट नहीं

कहूंगा मैं अगर हमने लक्ष्मी कांत वगर या थोड़ा बहुत डीएनए वगर सुना है आज तो आपको यह पता चल ही जाएगा इसका आंसर यह यूपीएससी का सवाल है आई थिंक य 2017 का क्वेश्चन है यह भी 2017 का ही क्वेश्चन है क्या पूछता है च वन ऑफ द फॉलोइंग ऑब्जेक्टिव इज

नॉट एडेड इन द प्रीमल ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन इनमें से कौन सा वैल्यू पार्ट नहीं है लिबर्टी ऑफ थॉट इकोनॉमिक लिबर्टी लिबर्टी ऑफ एक्सप्रेशन लिबर्टी ऑफ बिलीफ कमेंट में बताएं तो मजा आएगा ठीक है चलिए डिक्लाइन ऑफ द अमेरिकास लीडरशिप तो कृष्णन श्रीनिवासन जी नेय आर्टिकल लिखा है यह

फॉर्मर फॉरेन सेक्रेटरी रहे हैं हमारे तो ओबवियसली फॉरेन पॉलिसी में बहुत पकड़ है इनकी तो उसके हिसाब से इन्होंने बात किया है और यह आर्टिकल लिखा है अच्छा आर्टिकल है डिसेंट है हालांकि इसके अंदर कुछ ऐसा नया नहीं है जो आपको नहीं पता हो सब चीज

आपको लगभग पता ही है अगर आप थोड़ा बहुत डीएनए देख रहे हो थोड़े लंबे समय में से फिर भी एक रिवीजन के पर्सपेक्टिव से देख लेते हैं तो जब य जब हम लोग अमेरिका के डोमिनेशन की बात करते हैं तो अमेरिका ने डोमिनेट किया कैसे दुनिया में आफ्टर सेकंड

वर्ल्ड वॉर स्पेशली और जब से रशिया का जो है वो डिमिनिशिंग ग्रेशन हुआ उसके बाद से स्पेशली वैल्यू बेस्ड डोमिनेशन अमेरिका का रहा है अमेरिका यूरोप के अंदर लगभग एक ही वैल्यूज फॉलो की जाती है जहां पर इंडिविजुअल फ्रीडम की बात करते हैं ह्यूमन राइट्स की बात करते हैं हैं डेमोक्रेसी की

बात करते हैं ओपन सोसाइटीज की बात करते हैं लिबरल वैल्यूज की बात करते हैं इन वैल्यूज को उन्होंने पूरी दुनिया में फैलाया और इन वैल्यूज की काफी रिस्पेक्ट भी की जाती है क्योंकि ऑन द लेवल ऑफ ह्यूमन ऑन द लेवल ऑफ डिग्निटी ऑफ द पर्सन सुनने में तो बहुत अच्छा लगता है कि

हां फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन होना चाहिए लिबर्टी होनी चाहिए डेमोक्रेसी जरूरी है हालांकि इनके अंदर फ्लोज तो होते ही हैं लेकिन इनसे बेटर कुछ और नहीं है ना आप जैसे मान लो बात करते हो कि भाई रिस्पेक्ट द पर्सनल फ्रीडम राइट हालांकि इसके अंदर टर्म्स एंड कंडीशन

हो सकती हैं लेकिन फ्लोज होते होते भी डेमोक्रेसी से बेटर कोई और सिस्टम नहीं है यह बड़ी बात है इसका एविडेंस आप इसी से देख सकते हो कि अभी तक यूजुअली दो डेमोक्रेसी ने आपस में लड़ाई नहीं की है डेमोक्रेसी वर्सेस डेमोक्रेसी अब तक ऐसा हुआ नहीं है ठीक है क्योंकि डेमोक्रेसी के

अंदर बातचीत आप करते हो और बातचीत करते तो सलूशन भी निकल जाता है अथॉरिटेटिव रूल्स में बातचीत नहीं करते हो इससे सलूशन भी नहीं निकलता इसलिए वर्स होते हैं तो एक तो बहुत बड़ा फैक्टर था वैल्यूज बेस्ड अमेरिका मिलिट्री डोमिनेंस तो ऑफकोर्स है ही ऐसा कहा जाता है कि ह से ज्यादा

कंट्रीज के अंदर जो मिलिट्री बेस है व अमेरिका देखता है उसके बेसस है छोटे या बड़े तो यह डोमिनेंस भी हमेशा है इसलिए अमेरिका को कहा जाता है भया वर्ल्ड की पुलिस है वर्ल्ड में जो लॉ एंड ऑर्डर है उसको मेंटेन करने की रिस्पांसिबिलिटी अमेरिका ने खुद अपने ऊपर ली हुई है कोशिश

भी करता है व ये सब करे तो बहुत जरूरी है अमेरिका का जो फाइनेंस सिस्टम है दुनिया का सबसे रोबेस्ट फाइनेंस सिस्टम माना जाता है आज भी डॉलर का डोमिनेंस पूरी दुनिया में माना जाता है वर्ल्ड की रिजर्व करेंसी है 60 पर से ज्यादा तो सिर्फ डॉलर ही है

एडवांस टेक्नोलॉजी की बात करें तो स्पेशली डिफेंस स्पेस वगैरह तो अमेरिका हमेशा ने डोमिनेट किया है तो यस अमेरिका को डोमिनेशन है ऐकी बात नहीं है हालांकि इसके अंदर कुछ चैलेंज हैं अभी जो अमेरिका फेस कर रहा है और पीरियड ऑफ टाइम जैसे इल्लीगल इमीग्रेशन का इशू आप ले लीजिए बहुत सारा

मेक्सिको के थ्रू इधर से जाते हैं अभी एक मूवी भी आई थी डंकी डंकी में भी दिखाया गया किस तरह से लीगल इमीग्रेशन होता है यूरोप में भी होता है अमेरिका में भी होता है बहुत सारा ठीक है सेकेंडरी एजुकेशन उतनी अच्छी नहीं रही अमेरिका में जितनी एक

हुआ करती थी हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर भी काफी डाउन वहां पर नजर आ रहा है और ज्यादातर वहां पर जो इंश्योरेंस कंपनीज हैं उनका डोमिनेशन नजर आता है और बहुत महंगा भी है वहां के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर वो बड़ी बात है न्यू टेक्नोलॉजी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वगैरह से कुछ चैलेंस वहां की सोसाइटी को आ

रहे हैं बहुत सारे रेडिकल आइडियाज सोशल मीडिया के थ्रू वह समाज में बढ़ रहे हैं स्ट्रांग आडलज बहुत डोमिनेट करने लगी है जैसे वहां पर टू पार्टी सिस्टम डोमिनेट करता है एक रिपब्लिक है दूसरे डेमोक्रेट है अब आपको नजर आ रहा होगा बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़ा करते हैं आपस में लेकिन हमेशा

से ऐसा नहीं था हालांकि आईडियोलॉजिकली उनका जो विचार है वो अलग थे लेकिन फिर भी बहुत बार उनका कोऑपरेशन नजर आता था ऑन द नेशनल इंटरेस्ट अब जो है यह जो टू पार्टी सिस्टम है यह खुद परेशानी बन चुका है कोऑपरेशन को कोई चांस ही नजर नहीं आता

दोनों ही साइड जो है व एक्स्ट्रीम स्टेप लेने की कोशिश करती है नेशनल डेट 32 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का हो चुका है अमेरिका में च इज अगेन अ बिग चैलेंज चाइना चैलेंज कर रहा है अमेरिका को कई सारे सेक्टर में जैसे गेमिंग 5जी टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एटस इवन मेडिसन

आल्सो कई सारे डोमेस्टिक इश्यूज है अमेरिका में आज के टाइम पर जैसे वहां के जो कुछ पुराने इंस्टिट उनके ऊपर सवाल खड़े किए जा रहे जैसे इलेक्शन कमीशन अब यह बहुत बड़ी बात है अगर आपको अपने देश के इलेक्शन कमीशन के अंदर ही विश्वास नहीं है तो इसका मतलब आपको

पूरे इलेक्टोरल प्रोसेस में भरोसा नहीं है इलेक्टोरल प्रोसेस में भरोसा नहीं है तो मतलब डेमोक्रेसी खत्म है भैया फिर तो यही एक चीज है जो बचा के रखी है डेमोक्रेसी क्योंकि अगर आपके देश में इलेक्शन होते हैं उसका कोई आउटकम आता है और जो कैंडिडेट हार जाता है अगर वो बो बोले

कि मैं हार स्वीकार नहीं करूंगा मैं नहीं मानता अपने सपोर्टर को बोले सड़कों पर आ जाओ यह इलेक्शन गलत था झूठा था तो बस डेमोक्रेसी खत्म हो जाती है उसी दिन अगर वो माने कि यस मैं इस इंस्टीट्यूशन के अंदर बिलीव करता हूं इसने जो वर्डिक्ट सुनाया बिल्कुल ऑनेस्टी के साथ सुनाया है

इलेक्शन जो मेरे देश में हुआ बिल्कुल फेयर हुए हैं और व अगर अपने सपोर्टर को कहता है कि देखिए यह जन डेमोक्रेसी है मेजोरिटी लोगों ने हमें वोट नहीं दिया तो हमें अपनी हार जो एक्सेप्ट कर लेनी चाहिए अगर ऐसा होगा तभी डेमोक्रेसी चलती है नहीं तो भाई

सपोर्टर तो सड़कों प आने के लिए तैयार ही रहते हैं टीपीपी ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप से अमेरिका बाहर हो गया क्यों हो गया क्योंकि इसके अंदर क्याक बातें करता था ह्यूमन राइट्स की बातें हो रही थी लिबर्टी की बातें हो रही थी अमेरिका इससे बाहर हो गया तो इसका मतलब यह है कहीं ना

कहीं अपने ट्रेडिशनल वैल्यू से थोड़ा सा डावर्स कर रहा है कुछ चैलेंस हैं हिस्टोरिकल चैलेंस भी यहां पर नजर आते हैं कहीं सारे जैसे सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद जब दुनिया भर में एक नया ऑर्डर बना एक ऑर्डर बना रूल बेस्ड ऑर्डर ठीक है कुछ लोगों का कहना भैया देखि

रूल बेस्ड ऑर्डर नहीं था रूल बेस्ड ऑर्डर का मतलब तो यह होता है कि जब सभी लोग रूल फॉलो करें बनाया किसने रूल बेस्ड डर अमेरिका ने बनाया उसके फ्रेंड्स ने बनाया जो यूरोप में बैठे हुए थे आप चाहे आईएमएफ की बात करें वर्ल्ड बैंक की बात करें

डब्ल्यूटीओ की बात करें या दूसरे इंस्टिट्यूशन उनकी बात करें यूएन की बात करें ववन यह सब रूल बेस्ड इंस्टिट्यूशन है जो यूरोप और अमेरिका ने बनाए हैं और इनका कहना था भाईया सब को फॉलो करेंगे तो शांति बनी रहेगी और कहीं ना कहीं सक्सेस भी हुए

हैं इसमें ऐसी बात नहीं है लेकिन कुछ लोगों का कहना कि रूल बेस जिसने रूल बनाए उन्होंने रूल तोड़ दिए ये रूल बेस्ड ऑर्डर नहीं है भई ये पावर बेस्ड ऑर्डर है जिसके पास पावर है वोह कुछ भी करेगा व रूल को तोड़ेगा जिसके पास पावर नहीं है उनको रूल

फॉलो करने के लिए मजबूर किया जाएगा रूल बेस्ड ऑर्डर के अंदर यह कहा जाता है कि आप दूसरी कंट्री के इंटरनल मैटर्स में इंटरफेयर नहीं करोगे भैया या उनका मामला है उनको देखने दो आप ह्यूमैनिटेरियन ग्राउंड पर कुछ कर लिए तो करिए बाकी इंटरनल मैटर में इंटरफेयर मत

करिए अमेरिका ने कहा कि भईया रूल बनाने वाला मैं हूं तो तोडूंगा भी मैं ही अफगानिस्तान इराक वियतनाम उससे बाद पहले और भी बहुत सार युगोस्लाविया ल दैट सर्बिया कितने सारे ऐसे इंसीडेंट हुए अमेरिका ने डायरेक्ट इंटरफेयर किया है इन सारी चीजों की वजह से उसकी जो क्रेडिबिलिटी

है वो डाउन होती नजर आ रही है एक तो अभी सोशल मीडिया भी आ गया है ना उस जमाने में अगर अमेरिका ऐसा कुछ करता भी था तो आम आदमी को या तो पता नहीं होता था या फिर आम आदमी उतना अवेयर था नहीं क्योंकि उसको

इतना एक्सपोजर था नहीं अब तो बच्चे बच्चे के पास टिकटक है रील्स है सोशल मीडिया है तो कुछ भी जैसी चीजें होती हैं तो आपको पूरा एक्सपोजर मिलता है यस तो वो एक चैलेंज यहां पर नजर आता है हालांकि अभी भी ऐसे जैसे अमेरिका का म्यूजिक सिनेमा वहां की जो आर्ट है वो

सोफ्ट पार के रूप में अभी भी दुनिया भर में डोमिनेट करती है इसमें कोई डाउट नहीं है डॉलर अभी भी वर्ल्ड करेंसी के अंदर डोमिनेट करता है राइट अमेरिका के जो लिबरलिज्म है उसके ऊपर एशिया और अफ्रीका के अंदर काफी लोग डाउट करते हैं चाहे उसको फॉलो

करते हो लेकिन अंदर ही अंदर वो इस बत बात को बहुत ज्यादा एक्सेप्ट नहीं करते जिस तरह से अफ्रीका के अंदर कई सारी कंट्री के अंदर अभी मिलिट्री कूप हुआ फर्कना फासो वगैरह में तो उनका कहना कि यार ये जो फ्रेंच वैल्यूज है जो अमेरिकन वैल्यूज है

वो सब बकवास है ठीक है यह डेमोक्रेसी वगैरह सब बकवास है कोई इलेक्शन वगैरह नहीं होने चाहिए भाड़ में जाए इलेक्शन कोई मतलब नहीं है यह तो उनका कहना है कि डेमोक्रेसी मतलब मेजॉरिटेरियन रूल है है ना मतलब नो लोग अगर किसी बात के लिए

यस करते हैं तो बाकी एक आदमी को मानना ही पड़ेगा उनका कहना कि डेमोक्रेसी इज नथिंग बट द नथिंग बट द मेजॉरिटेरियन जम तो हम इसको रिजेक्ट करते हैं लिबरलिज्म वैल्यूज को जिसको रिस्पेक्ट मिलती थी इतने बार अब वो थोड़ा सा चेंज हो रहा है और क्या रहा

है प्रेजेंट में चाइना और रशिया का जिस तरह से एक्सेस बना है यह अमेरिका के ऑर्डर को चैलेंज कर रहा है जैसे ब्रिक्स की बात करें तो ब्रिक्स के अंदर एक नई करेंसी इंट्रोड्यूस करने की बात हुई थी अभी वो होगी या नहीं होगी ट्स अ डिफरेंट थिंग लेकिन ये क्यों करते हैं

क्योंकि डॉलर को चेंज करना जो है चाहते हैं उसको डिथ्रोन करना चाहते हैं हालांकि ऐसा नजर नहीं आता कि अगले कम से कम 15 20 साल में डॉलर को कोई डिथ्रोन करेगा अभी चाइनीज करेंसी रशियन करेंसी या किसी और करेंसी के बीच में उतने बस की बात नहीं है

बट स्टिल सवाल तो खड़े हो रहे हैं ना कुछ साल पहले तक तो डॉलर को रिप्लेस करने का सवाल ही नहीं हो रहा था अब सवाल तो हो रहे हैं कुछ ना कुछ हो भी सकता है फ्यूचर में यह बड़ी बात है इंडिया और अमेरिका के

रिलेशन यस म्यूचुअल इंटरेस्ट पे है तो जिस तरह से भाई इंडिया को जरूरत है अमेरिका की फर सो मेनी थिंग्स लाइक टेक्नोलॉजी फाइनेंस एक्सपर्टीज हमें हमारी जरूरत है अमेरिका को है क्योंकि वो चाइना को काउंटर करना चाहते हैं इंडियन ओशन के अंदर डोमिनेंस रखना चाहते हैं वो सारी चीजें म्यूचुअल इंटरेस्ट है

कोई दबाव नहीं है कि अमेरिका के साथ अच्छे रिलेशन बनाने ही बनाने इंडिया के ऊपर नहीं हमारा भी हमें अपना फायदा नजर आता है उनको अपना फायदा नजर आता है और जिओ पॉलिटिक्स में तो मोस्टली चीजें म्यूचुअल इंटरेस्ट प ही चलती हैं चाइना और रशिया म्यूचुअल इंटरेस्ट है

दोनों का इसलिए दोस्ती है हालांकि चाइना रशिया के बीच में हिस्टोरिक देखा जाए तो कोई खास रिलेशन नहीं है बहुत अच्छा लेकिन अभी मजबूरी में बन रहे हैं क्योंकि म्यूचुअल इंटरेस्ट चाहिए तो ये कुछ चीजें हैं जो आपको थोड़ा यहां प आईडिया होना चाहिए अगर आप कोई क्वेश्चन यहां से लिखना

चाहते हो तो क्वेश्चन भी लिख सकते हो जैसे इन द कांटेक्ट ऑफ इन द कांटेक्ट ऑफ रिसेंट जिओ पॉलिटिकल हैपनिंग्स ऑल ओवर द वर्ल्ड डिस्कस द रोल ऑफ यूएसए इन द इन मेंटे निंग द रूल बेस्ड वर्ल्ड ऑर्डर 150 वर्ड्स 10 मार्क्स लिख सकते या फिर सिंपली लिख सकते हो डिस्कस हाउ द

डोमिनेशन ऑफ यूएस इज डिक्लाइंग इन रिसेंट टाइम 150 वर्ड्स एंड 10 मार्क्स कंटेंट दोनों का सेम ही रहने वाला लगभग बट यस आप इसको लिख सकते हो तो आज के लिए इतना ही है थैंक यू वेरी मच ल द बेस्ट जय हिंद जय जवान जय किसान

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