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| SEERAT-UN-NABI | 622 to 632 A.D | 01 to 10 A.H | IMPORTANT EVENTS | FAHEEM AKBAR |

adminBy adminFebruary 29, 2024No Comments13 Mins Read
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बिमला रमान रहीम वेलकम स्टूडेंट आज हमारा तीसरा लेक्चर है और इस तीसरे लेक्चर में पहले लेक्चर है हम उसम हमने क्या कवर करया था आप सला अ वसल्लम का लान नबत से पहले का दौर और जो हमारा दूसरा लेक्चर था वो किस बात पर था लान नबूवत के बाद मक्की दौर को

हमने क्लियर किया था आज के दौर के अंदर या आज के लेक्चर के अंदर हम आप सला वलम नबूवत के मदनी दौर को डिस्कस करेंगे किसको डिस्कस करेंगे मदनी दौर अबक मदनी दौर है तो द साल का पीरियड लेकिन इसके अंदर जो वाकया है वो बहुत ज्यादा है ठीक है इसलिए

हम इनको पार्ट्स में डिवाइड किया गया है य हमने अपने लेक्चर को पार्ट्स में डिवाइड किया है ताकि आप लोग आसानी से समझ सके और इंपोर्टेंट इंपोर्टेंट इवेंट्स को आप अपने किताबों पर नोट कर सके तो तैयार है आप चलिए शुरू करते अच्छा जो आप सलाम का मदनी दौर है वो हिजरत

से शुरू होता है इससे पहले हम जो आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम ने बैत अकबा सानिया वहां तक डिस्कस कर लिया था तो मदनी दौरा आप सलाहु अ वसल्लम का 622 से लेकर 632 तक है 622 से लेकर 632 तक अगर हम इसको हिजरी कैलेंडर में काउंट करें तो फर्स्ट हिजरा से लेकर 10

हिजरा तक फर्स्ट हिजरा से लेकर 10 हिजरा इस साल का सबसे पहला और सबसे बड़ा इवेंट है हिजरत नबवी आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का मक्के से मदीना हिजरत करके चले जाना अब चूंकि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मक्के में नहीं रहने दिया जा रहा था और आप

सल्लल्लाहु सलम के साथियों को मक्के में बहुत ज्यादा तकलीफें पहुंचाई जा रही थी जिसके नतीजे में आप सल्लल्लाहु अ वसल्लम ने मदीने वालों से बात की इनको दावत दी इन्होंने इस्लाम को एक्सेप्ट किया और वो इस बात पर तैयार हो गए कि आप सल्लल्लाहु वसल्लम और आप सल्लल्लाहु वसम के साथियों

को वो मदीना लेकर आएंगे मदीने में उनको रहने देंगे और फिर इस्लाम की एक रियासत मदीना में शुरू हो जाएगी इसलिए आप सल्लल्लाहु वसल्लम ने 13 नबवी के अंदर बैत अकबा सानिया के बाद अपने सहाबा को मदीने जाने के लिए कह दिया था और खुद अल्लाह के

हुक्म का इंतजार कर रहे थे रिवायत में आता है कि सबसे पहले जिस सहाबी ने हिजरत की है उनका नाम है अबू सलमा क्या नाम है अब्दु समा इनका असल नाम था अब्दुल्ला इब्ने अब्दुल असद इन्होंने सबसे पहले हिजरत की है उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता सहाबा कराम

रज अल्लाह ताला हिजरत करके मदीना जाने लगे फिर आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम हिजरत का इंतजार करने लगे तो वो घड़ी आ गई जिसमें अल्लाह जल शन ने मोहम्मद मुस्तफा सलाहु अ वसल्लम को हिजरत की इजाजत दे दी लेकिन मुशरिकीन को भी इसका पता था कि आप सल्लल्लाहु अ वसल्लम मक्का छोड़कर मदीना

चले जाएंगे और ये बहुत बड़े खतरे की बात थी उनके लिए क्योंकि इसके बाद आप सल्लल्लाहु वसल्लम को अगर उन्होंने जाने दे दिया तो वहां एक रियासत कायम हो जाएगी और रियासत के कयाम के बाद फिर क्या होगा आप सलाम के साथी और सहाबा के साथ मुबा

मक्के पर हमला कर द लिहाजा इस खतरे को उन्होंने भांप लिया जल्दी से फिर मुशरिकीन मक्का ने दारु नदवा में एक पार्लियामेंट बुलाई यानी एक इजलास बुलाया दारु नदवा आसम में उनकी एक पार्लियामेंट मजलिस शूरा थी जहां सारे बिल बैठकर कोई अहम फैसला तय कर

लिया करते थे चुनांचे अबू जहल जो कि इस कमेटी का उस वक्त सरदार बन रहा था उसने सबको दारु नदवा में बुलाया और वहां पे मीटिंग का नकाद हुआ यानी सोचा जाए कि किस तरह आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम को हिजरत से रोका जाए तो चुनांचे सारे जमा हो गए

बड़े-बड़े रसा इस इजलास में जमा हुए तो शैतान भी एक बूढ़े की शक्ल इख्तियार की और कहने लगा कि मैं नजब कबीले का एक बूढ़ा शख्स हूं मुझे भी इस इजलास के अंदर बैठने की इजाजत दे दी जाए मैं भी कोई खातिर खवा मशवरा ही दे दूंगा चुनांचे उसको भी इस

इजलास में आने की इजाजत दे दी गई ये इजलास शुरू हुआ 26 सफर 14 नबवी ब मुताबिक 12 सितंबर 622 के अंदर ये इजलास शुरू हुआ और ये पहली पहर इजलास हुआ इसके अंदर मीटिंग हुई उस मीटिंग के अंदर अबुल अवद ने राय दी कि मेरी राय के मुताबिक आप सल्लल्लाहु को

हम जला वतन कर देते हैं किसी दूसरे मुल्क भेज देते हैं फिर उनका जो दिल चाहे वहां जाकर करें तो इस राय को शैतान ने रिजेक्ट किया जो कि एक बूढ़े की शक्ल में था उसने कहा तुम्हारी राय बड़ी कमजोर है क्योंकि तुमने नहीं देखा मोहम्मद सला के कलाम में

कितनी मिठास है ये जहां जाएंगे वहां वालों को अपना गर मीदा बना लेंगे और फिर उनके पैरोकार बढ़ जाएंगे और ये अपने पैरोकार के साथ दोबारा हमला कर देंगे लिहाजा तुम्हारी राय में दम नहीं इसके बाद अबुल बख्तरी ने मशवरा दिया कि हम ऐसा करते हैं आप सलाम को कैद कर लेते हैं

जंजीरों में जकड़ लेते हैं उसके बाद उनकी मौत का इंतजार करते हैं कि इनके साथ कुछ हो जाए इस राय को भी शैतान ने रिजेक्ट किया कि तुम्हारी राय कमजोर है क्योंकि इसके बाद जो मोहम्मद सलाम के साथी है वो लोग आपस में मिलकर तुम पर अपने साथी को

छुड़ाने के लिए हमला करेंगे तुम्हारी राय भी कमजोर आखिर में अबू जहल ने राय दी अबू जहल को असल में अबुल हकम कहा जाता था जिका नाम उमर ने ह शम था आमर इने हिशाम था इसने राय दी की मेरी राय है कि हम हर कबीले के

एक नौजवान को मुंतखाब करते हैं और उनको एक तलवार दे देते हैं वो आप सलाम के मकान का घेराव कर ले और फिर एक साथ आप सलाम पर हमला कर द यानी ऐसा होगा फिर गोया के ऐसा होगा जैसा कि एक ही तलवार से आप सलाम का

कतल हुआ नज बिल्लाह और आप सल्ला वसल्लम का जो खून है वो मुख्तलिफ कबाइटरी इतनी ताकत तो है नहीं कि वो हर कबीले से लड़ता फिरे बिल आखिर वो दियत पर मजबूर हो जाएगा दियत देने पर और दियत देना हमारे लिए आसान हो जाएगा यानी खून बहा एक

शख्स के खून की उस वक्त कीमत 20 ऊंट हुआ करती थी या 100 ऊंट हुआ करती थी ठीक है तो ये उनके लिए आसान है तो शैतान को ये राय बड़ी पसंद आई इसने कहा कि राय तो यही है उसके बाद फिर कहते हुआ कि जी हर कबीले का

नौजवान आप सलाम को के मकान का घेराव कर ले और रात में आप सलाम का कत्ल किया जाए यहां पर उनके यहां ये इजलास चल रहा था अल्लाह पाक ने हजरत महम्मद सलाम के पास जिब्रील अल सलाम को भेज दिया और हजरत जिब्रील ने

आप सलाम को उनकी सारी कहानी समझा दी के इस इस तरह हुआ है और अल्लाह ताला आपको हिजरत की इजाजत दे रहे हैं चुनांचे आप सल्लल्लाहु ताला अल वसल्लम ने इस खबर को पाकर फौरन ही हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अ के पास चले गए दोपहर के

वक्त में वो पहले से ही तैयार थे और उनको आपने कह दिया कि आप मेरे हिजरत के साथी हैं इस तरह मैं आपके पास आऊंगा और उसके बाद फिर हम हिजरत के लिए निकल चलेंगे और आपने हजरत अली रज अल्लाह ताला को अपने बिस्तर पर लिटा दिया और खुद आप

सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उनके दरमियान से निकलकर हजरत अबू बकर के पास गए हजरत अबू बकर ने पहले से ही तैयारी कर रखी थी और यूं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हिजरत के लिए मदीना लेकिन आप पहले गार सोर में गए गार सोर मक्के से कोई पाच मील यानी 11 या

12 किलोमीटर दूर थी वहां जाकर आप सलाम और हजरत अबू बकर सिद्दीक र अल्ला ताला ने तीन दिन तीन रात उस गार के अंदर कयाम किया इधर अल्ला जशा आयत ना सल की आयत नंबर 30 है जिसम अल्ला फरमाते है कि वो लोग भी तकबीर कर

रहे थे अल्लाह भी तकबीर कर रहा था अल्लाह की तदबीर उनकी तदबीर से क्या है बेहतर है तो आप स की तरफ जो निकले थे वो 27 सफर 149 13 सितंबर 622 ईसवी का की तारीख थी तीन दिन आप सलाम गार सौर में रहे उसके बाद

पहली रबील अव्वल 14 नवी को आप गार सौर से निकले क्योंकि मकसद ही था कि तीन दिन में उनकी जो जज्बात है वो ठंडे हो जाएंगे उन्होंने हर तरफ आप स को ढूंढने के लिए बंदे भी दौड़ा लेकिन कुछ भी हाथ नहीं आया फिर तीन दिन के बाद जब उनका प्रोग्राम

सर्त पड़ गया तो आप सल्लल्लाहु अ वसल्लम ने हिजरत का सफर स्टार्ट किया अच्छा इस मकसद के लिए आप सलाम ने मुशरिकीन में से एक बंदे जिसका नाम था अब्दुल्लाह इब्ने उकत क्या नाम था अब्दुल्लाह इने उकत या अकत उनको कहा जाता है उसको आपने पहले से

उजरत के लिए तैयार कर दिया था क्योंकि वो गैर मारूफ रास्ता जानता था एक तो था मारूफ रास्ता आम सड़क जो कि मक्का जाती थी अगर वहां उस रास्ते से आप जाते तो आप पकड़े जाते इसलिए आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम ने गैर मारूफ रास्ता अया र किया यानी जो सबको

पता नहीं था उस रास्ते से आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम निकल पड़े और ये चार लोग आप सल्लल्लाहु वसल्लम यानी आप चार थे एक खुद आप सलाम एक हजरत अबू बकर एक उनका जो रहबर था अब्दुल्ला इने अकत या रकत और एक आमिर इने फहरा जो कि हजरत अबू बकर का आजाद करदा

गुलाम था ये लोग हिजरत के सफर से निकले और आठ दिन का मुश्किल गुजार सफर से इन्होंने किया और आठ दिन के सफर के बाद वो कुबा में पहुंचे तो जिस तारीख को कुबा को पहुंचे वो ठ रबील अव्वल 14 नबवी एक हिजरी 23 सितंबर

622 ईवी था आप सलाम कुबा में कुलसूम इब्ने हदम एक वहां के रईस थे उनके मकान पर ठहरे फिर वहां में आप सलाम ने मस्जिद बनाई जिस मस्जिद को आपने कुबा का नाम दिया क्योंकि वो कुबा एक बस्ती थी मस्जिदे कुबा वो पहली मस्जिद है जो इस्लाम में बनाई गई यानी आप

सलाम के दौरे नबवी में सबसे पहली मस्जिद मस्जिद कुबा बनाई कुबा में कुल आप सलाम 14 दिन रहे ये रिवायत में आता है बहरहाल अगर पूरे सफर को मिलाकर दिन काउंट करें तो 12 या 14 14 दिन ज्यादा तारीख में आता है कि आप कुबा में रहे फिर आप सलाम मदीना के लिए

निकले रास्ते में जुम्मे का दिन था तो बनू सालिम बिन ओफ की बस्ती में आप सलाम ने सहाबा कराम को जुम्मे की नमाज पढ़ाई और उसके बाद फिर आप सल्लल्लाहु अ वसल्लम ने मदीने का रुख इख्तियार किया तो अब मदीना अब एक हिजरी का साल शुरू

हो गया 622 फ 623 उसके जो अहम अहम वाकया है उस पर हम बात करें तो सबसे पहले आप सलाहु अ वसल्लम ने मस्जिद नबवी की तामीर की आपको पता है कि आप सल्लल्लाहु अल वसल्लम एक टनी पर सवार थे कसवा या कसबा आप सला पर तयार सवार थे

तो हर शख्स चाहता था कि आप सला मेरे पास आए फिर आपने हुकम दे दिया कि ये ऊंटनी अल्लाह जल शन की तरफ से मामूर है यानी ये जहां रुकेगी इसको कोई भी ना छेड़े तो ऊंटनी एक जगह आकर रुकी उस वो जगह बनू नज्जार के दो यतीम बच्चों की थी किसकी

थी सहल और सुहेल की किसकी आप सलाम ने कीमत उस जमीन को उन बच्चों से ले लिया उस वक्त आपके पास पैसे नहीं थे तो वो पैसे हजरत अबू बकर सिद्दीक रज अल्लाह ताला अन ने दिए और आप सलाम ने वहां पर मस्जिद नबवी को

तामीर किया और सहाबा कराम ने और आपने खुद उसके तारा में हिस्सा लिया आप सला खुद मट्टी के पत्थर डो डो कर लाते थे गारा बनाते थे और साहबा ने मस्जिद को तामीर किया दूसरा अहम वाकया वो मुत है मुत का मतलब है भाईचारा आपको पता है कि सहाब कराम

र अल्ला ता से कुछ लोग वो थे जिन्होंने मक्के को छोड़ा मदीना आ गए इनको तारीख में मुहाजिरीन कहा गया क्या कहा गया मुहाजिरीन मक्का और वो लोग जो मदीना के खुद रहने वाले थे जिन्होंने उनको वेलकम कहा उनको अंसार कहा गया क्या कहा गया अंसार आप सला

अ वसल्लम ने अमन को कायम करने के लिए उन मुहाजिरीन और उन अंसार के दरमियान भाईचारा कायम किया उनकी जोड़ियां बनाई और एक दूसरे के जिम्मे उनको लगाया तो इसको तारीख में मुत कहा जाता है ये कुल 90 आदमियों में जिसम से 45 मुहाजिर और 45 कौन थे अंसार थे

अहम जो वो हजरत अबू बकर का हजरत खाजा बिन जैद से रिश्ता मुत कायम किया गया हजरत उमर का हजरत इबान बिन मालिक से हजरत उस्मान का हजरत औस बिन साबित से हजरत अब्दुल रहमान बिन औफ का हजरत साद इने रबी से हजरत जुबैर का हजरत सलामा इने सलामा से हजरत तहा का

हजरत काब बिन मालिक से हजरत मुस बिन उमेर का हजरत अबू अयूब अंसारी से हजरत सलमान फारसी का हजरत अबू दरदा से हजरत अबू दर फारी का हजरत मुर बिन अमर ये कुछ अहम अहम सहाबा कराम है कि जिनका आपस में क्या किया गया भाईचारा कायम किया

गया तो आप स अच्छा इसके बाद जो है नीसा के मदीना कहते हैं कि ये दुनिया का पहला आईन है पहला आईन है आईन कब बनता है जब कोई हुकूमत हो और वो वि फाकी हुकूमत बने वहां के रहने वालों में आपस में अमन किस तरह

कायम किया जाए इसके लिए आप सला एक चार्टर्ड बनाया क्या बनाया चार्टर्ड आईनी दस्तूर जिसको मिसा के मदीना कहा गया ये भी पहली हिजरी का ही वाकया है ये किनके दरमियान था वहां पर रहने वाले यहूदियों के साथ और मुसलमानों के साथ आप सला अ वसल्लम

ने अमन महिदा किया आपको पता है कि वहां यहूदी के तीन कबीले रहते थे एक बन दूसरा बन नजर और तीसरा बन कुरेज ठीक है और इनके दरमियान आप सला अ वसम अच्छा इसमें जो आर्टिकल किया गया उस के 47 आर्टिकल्स है ऐसा ग प लिखा हुआ है बहरहाल एक रिवायत

में 53 आर्टिकल्स भी आते हैं जिसके 12 क्ला क्लास है ठीक है उसके बाद फिर एक हिजरी के अंदर यानी जो कसर नमाज का हुकम नाजिल हुआ चार रकात वाली नमाज दो रकात पढ़ी गई सफर में इसी तरह ये इस पहली हिजरी के अंदर मशहूर सहाबी हजरत असद इने जरारा

रला की वफात हुई और हजरत कुलसूम हदम रज अल्लाह ताला अ की वफात थई तो ये अल्हम्दुलिल्लाह जो है ना पहली हिजरी के अंदर जो अहम अहम वाकया है उसको हमने बयान किया अगले लेक्चर जो कि पार्ट टू होगा उसमें हम इंशाल्लाह दो हिजरी और तीन हिजरी

को कवर करेंगे तब तक के लिए इजाजत अला

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